किसानों के बाद राहुल की अब जवानों पर नजर
किसानों से जुड़े मुद्दे उठाकर अब तक केंद्र सरकार को घेरते रहे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की नजर अब जवानों पर है। सैनिकों के बीच पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिए उन्होंने 'वन रैंक वन पेंशन का मुद्दा उठा लिया है। कांग्रेस पहले से इसका श्रेय लेने के लिए केंद्र
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। किसानों से जुड़े मुद्दे उठाकर अब तक केंद्र सरकार को घेरते रहे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की नजर अब जवानों पर है। सैनिकों के बीच पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिए उन्होंने 'वन रैंक वन पेंशन का मुद्दा उठा लिया है। कांग्रेस पहले से इसका श्रेय लेने के लिए केंद्र सरकार से दो-दो हाथ कर रही है।
शनिवार को पार्टी कार्यालय में 'वन रैंक वन पेंशन के मुद्दे पर पूर्व सैन्यकर्मियों का प्रतिनिधिमंडल राहुल से मिला। राहुल ने इस योजना को लागू कराने के लिए दबाव बनाने की बात कहते हुए मौजूदा सरकार पर इसे लागू नहीं करने का आरोप लगाया।
उन्होंने पूर्व सैन्यकर्मियों से कहा कि संप्रग सरकार ने इस योजना के लिए धन का आवंटन तक कर दिया था। लेकिन मोदी सरकार इसे लागू करने में अनावश्यक विलंब कर रही है। राहुल ने कहा, 'एक साल पूरा करने के बाद भी राजग सरकार इस मसले पर कोई कदम उठाने में नाकाम रही है। सेनाएं हमारी सरहदें महफूज रखती हैं। उनकी मांगें जल्द पूरी होनी चाहिए।
राहुल के बाद पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने भी इसे संप्रग सरकार का फैसला बताते हुए राजग पर इसमें देरी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इस बाबत उनकी सरकार ने ही फैसला ले लिया था, लेकिन यह सरकार उसे लागू करने में नाकाम रही है। गौरतलब है कि मोदी सरकार के वित्त मंत्री अरुण जेटली व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि यह योजना जल्द ही लागू की जाएगी।
कांग्रेस ने उठाया राफेल खरीद पर सवाल
केंद्र सरकार के एक साल पूरे होने पर उसकी बेदाग छवि के सरकारी दावों को घेरने के लिए कांग्रेस ने राफेल फाइटर जेट की खरीद को मुद्दा बनाया है। सरकार को कठघरे में खड़ा करने के लिए शनिवार को पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी खुद मैदान में उतरे। एंटनी ने कहा कि राफेल विमानों की चयन प्रक्रिया को लेकर उनके पास बेहद गंभीर शिकायतें आई थीं। इसके बाद उन्होंने स्थिति साफ होने तक सौदे की मंजूरी रोकने के निर्देश दिए थे। अब जब मौजूदा सरकार ने इन्हें खरीदने का निर्णय ले लिया है तो वह सौदे को लेकर अपनाई प्रक्रिया को सार्वजनिक करे।
एंटनी ने कहा कि इस विमान की चयन प्रक्रिया को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने उनको कई पत्र लिखे। उस समय वित्त मंत्रालय ने भी इस सौदे को लेकर गंभीर सवाल उठाए थे। लेकिन मोदी सरकार ने इन आपत्तियों के साथ रक्षा खरीद प्रक्रिया को भी दरकिनार करते हुए इस सौदे को मंजूरी दी है। एंटनी ने चीन सीमा को ध्यान में रखकर बनाई जा रही माउंटेन स्ट्राइक कोर की संख्या में कमी को लेकर सरकार पर राष्ट्रीय सुरक्षा की गंभीर अनदेखी का आरोप लगाया। उधर, अहमदाबाद में कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि फ्रांस के साथ राफेल का सौदा उन्हीं शर्तों पर किया जा रहा है, जिनका भाजपा ने संप्रग के शासन में विरोध किया था। उनका आरोप है कि कतर और मिस्र राफेल जैसा ही विमान सस्ते दाम पर देने को तैयार हैं, पर केंद्र ने उस पर विचार ही नहीं किया।