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देशद्रोही पर मुरव्वत नहीं

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई के दौरान याकूब मेमन को देशद्रोही बताने पर अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी और याकूब के वकील के बीच गरमागरम बहस हो गई। याकूब के वकील टीआर अंध्यारुजिना ने अपनी दलील में कहा कि दया याचिका किसी के अनुग्रह का मामला नहीं है।

By Murari sharanEdited By: Published: Wed, 29 Jul 2015 09:13 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2015 09:33 PM (IST)

जागरण ब्यूरो नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई के दौरान याकूब मेमन को देशद्रोही बताने पर अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी और याकूब के वकील के बीच गरमागरम बहस हो गई। याकूब के वकील टीआर अंध्यारुजिना ने अपनी दलील में कहा कि दया याचिका किसी के अनुग्रह का मामला नहीं है। यह किसी व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार है। जब तक उसके सभी विकल्प समाप्त नहीं हो जाते, तब तक उसे फांसी पर नहीं लटकाया जा सकता। उसकी दया याचिका राज्यपाल के पास लंबित है।

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याचिका लंबित रहते उसे कैसे फांसी दी जा सकती है? इस पर रोहतगी ने कहा कि यह न्यायिक निर्णय का मामला नहीं है। अंध्यारुजिना ने जब मौलिक अधिकारों की बात शुरू की, तो रोहतगी ने कहा-धमाकों में मारे गए 257 लोगों के अधिकारों के बारे में आपका क्या कहना है?

आप एक देशद्रोही के अधिकार की बात कर रहे हैं।याकूब को देशद्रोही कहे जाने पर अंध्यारुजिना बिफर पड़े। उन्होंने कहा कि एक न्यायिक अधिकारी को किसी के प्रति इस तरह का दुराग्रह नहीं रखना चाहिए।

इससे पहले सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल ने कहा कि साबित हो चुका है कि याकूब मेमन मुंबई बम धमाकों का साजिशकर्ता था। उस आतंकी हमले को भुलाया नहीं जा सकता। 22 साल बीत गए हैं।

देशद्रोही पर रहम नहीं किया जा सकता। इसे तो फांसी होनी ही चाहिए। याकूब अपने सभी कानूनी विकल्प अपना चुका है और अब इस मामले में कोर्ट के दखल देने की कोई गुंजाइश नहीं बची है।


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