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जानिए, अयोध्या भूमि विवाद के मुख्य पैरोकार हाशिम अंसारी की ख्वाहिश

अयोध्या भूमि विवाद के मुख्य पैरोकार 96 वर्षीय मोहम्मद हाशिम अंसारी की तबियत नासाज है। उन्हें लखनऊ के केजीएमयू में भर्ती कराया गया। उनको सीने में जकड़न व दर्द की शिकायत है। उन्हें आइसीयू में रखा गया है और उन पर नजर रखी जा रही है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 07 Feb 2016 08:29 AM (IST)Updated: Sun, 07 Feb 2016 09:41 AM (IST)
जानिए, अयोध्या भूमि विवाद के मुख्य पैरोकार हाशिम अंसारी की ख्वाहिश

नई दिल्ली। अयोध्या भूमि विवाद के मुख्य पैरोकार 96 वर्षीय मोहम्मद हाशिम अंसारी की तबियत नासाज है। उन्हें लखनऊ के केजीएमयू में भर्ती कराया गया। उनको सीने में जकड़न व दर्द की शिकायत है। उन्हें आइसीयू में रखा गया है और उन पर नजर रखी जा रही है।

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हाशिम पिछले साठ साल से बाबरी मस्जिद के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। वे सन् 1949 से बाबरी मस्जिद के लिए पैरवी कर रहे हैं। हाशिम पहले ही कह चुके हैं कि वो फैसले का भी इंतजार कर रहे हैं और मौत का भी, लेकिन चाहते हैं कि मौत से पहले बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि का फैसला देख लें।

अंसारी का परिवार कई पीढ़ियों से अयोध्या में रह रहा है। हाशिम अंसारी साल 1921 में पैदा हुए, लेकिन जब वे सिर्फ ग्यारह साल के थे कि सन् 1932 में उनके पिता का निधन हो गया था।

उन्होंने महज दूसरी कक्षा तक पढ़ाई की और फिर सिलाई यानी दर्जी का कम करने लगे। बाद में उनकी शादी पास ही के जिले फैजाबाद में हुई। अंसारी के दो बच्चे हुए, एक बेटा और एक बेटी। अंसारी के परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं रही।

अंसारी के मुताबिक, 1934 का बलवा भी उन्हें याद था, जब हिंदू वैरागी संन्यासियों ने बाबरी मस्जिद पर हमला बोला था। उनके मुताबिक ब्रिटिश हुकूमत ने सामूहिक जुर्माना लगाकर मस्जिद की मरम्मत कराई थी और जो लोग मारे गए, उनके परिवारों को मुआवजा दिया था।

1949 में जब विवादित मस्जिद के अंदर मूर्तियां रखी गईं, उस समय प्रशासन ने शांति व्यवस्था के लिए जिन लोगों को गिरफ्तार किया, उनमे अंसारी भी शामिल थे।

उनका कहना है कि क्योंकि उनका सभी के साथ सामाजिक मेलजोल था इसलिए लोगों ने उनसे मुकदमा करने को कहा और इस तरह वो बाबरी मस्जिद का पैरोकार बन गए। बाद में 1961 में जब सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मुकदमा किया तो उसमे भी अंसारी एक मुद्दई बने।

पुलिस प्रशासन की सूची में नाम होने की वजह से 1975 की इमरजेंसी में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें आठ महीने तक बरेली सेंट्रल जेल में रखा गया।

6 दिसंबर, 1992 के बलवे में बाहर से आए दंगाइयों ने उनका घर जला दिया लेकिन अयोध्या के हिंदुओं ने उन्हें और उनके परिवार को दंगाईयों की भीड़ से बचाया। इस घटना के बाद हामिद अंसारी को सरकार की तरफ से जो कुछ मुआवजा मिला, उससे उन्होंने अपने छोटे से घर को दोबारा बनवाया और एक पुरानी एंबेसडर कार खरीदी थी।

पढ़ेंः अयोध्या बाबरी ढांचे के मुद्दई हाशिम अंसारी की तबियत बिगड़ी, ICU में भर्ती


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