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आपदा प्रबंधन एजेंसियों के क्षमता विस्तार की जरूरत

नेपाल में भूकंप से हुई तबाही के मंजर ने प्राकृतिक आपदाओं को लेकर भारत सरकार के माथे पर चिंता की लकीरों को एक बार फिर उभार दिया है। केंद्र सरकार ने देश में आपदा प्रबंधन एजेंसियों की क्षमता बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया है ताकि प्राकृतिक और मानव निर्मित

By Kamal VermaEdited By: Published: Sat, 16 May 2015 08:23 PM (IST)Updated: Sat, 16 May 2015 09:10 PM (IST)

नई दिल्ली। नेपाल में भूकंप से हुई तबाही के मंजर ने प्राकृतिक आपदाओं को लेकर भारत सरकार के माथे पर चिंता की लकीरों को एक बार फिर उभार दिया है। केंद्र सरकार ने देश में आपदा प्रबंधन एजेंसियों की क्षमता बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया है ताकि प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं के संकट का मुकाबला प्रभावी तरीके से किया जा सके।

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मानसून पूर्व तैयारियों को लेकर राज्यों के साथ समीक्षा बैठक के दौरान केंद्रीय गृह सचिव एलसी गोयल ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा कार्रवाई बल (एनडीआरएफ) और राज्यों के आपदा कार्रवाई बलों (एसडीआरएफ) की क्षमता बढ़ाने की जरूरत है। फिलहाल 29 में से केवल 21 राज्यों में ही एसडीआरएफ का गठन हुआ है। केंद्र सरकार उम्मीद कर रही है कि बाकी राज्यों में इन बलों का गठन निर्धारित समय सीमा में कर लिया जाएगा। गोयल ने कहा कि आपदा प्रबंधन की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है, उन्हें इस उद्देश्य के लिए 14वें वित्त आयोग की ओर से निर्धारित फंड का इस्तेमाल करना चाहिए।

केंद्र सरकार पहले ही एनडीआरएफ की दो अतिरिक्त बटालियन की मंजूरी दे चुकी है। फिलहाल एनडीआरएफ की 10 बटालियन मंजूर हैं। अतिरिक्त बलों का इस्तेमाल राज्य सरकारों के आपदा से निपटने के प्रयासों में मदद के लिए किया जा सकेगा। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अथॉरिटी (एनडीएमए) भी राज्यों को तकनीकी सहायता और अन्य तरह की मदद उपलब्ध करा रही है।

आपदा प्रबंधन को लेकर इस सालाना बैठक में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के आपदा प्रबंधन विभागों के राहत आयुक्तों और सचिवों ने हिस्सा लिया। गोयल ने कहा कि क्षमता, समन्वय और सामुदायिक भागीदारी आपदा प्रबंधन के मुख्य सैद्धांतिक स्तंभ हैं। प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में सिविल सोसायटी और स्वयंसेवी संगठनों की भूमिका अहम होती है। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन एक संयुक्त प्रयास होता है और संकट के समय में प्रभावी कार्रवाई की तैयारी बेहद उपयोगी होती है। गृह सचिव ने कहा कि भारतीय मौसम विभाग की ओर से जारी की जाने वाली हर चेतावनी को, फिर चाहे वह बड़ी हो या छोटी, गंभीरता से लिया जाना चाहिए। साथ ही इस तरह की बैठक साल में दो बार आयोजित हो।

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