अब अफजल गुरु को हो जल्द फांसी..
मुंबई हमले के सबसे बड़े आतंकी अजमल आमिर कसाब को फासी दिए जाने से ही आतंकवाद का खात्मा नहीं होता है। कसाब से पहले भी एक आतंकी है अफजल गुरु जिसने सदन में हमला कर देश की राजनीति की नींव को हिला दिया था। कसाब के बाद अब सवाल अफजल गुरु पर आकर रुक जाता है।
नई दिल्ली। मुंबई हमले के सबसे बड़े आतंकी अजमल आमिर कसाब को फासी दिए जाने पर से ही आतंकवाद का खात्मा नहीं हो जाएगा। कसाब से पहले भी एक आतंकी है अफजल गुरु जिसने वर्ष 2001 में सदन में हमला कर देश की राजनीति की नींव को हिला दिया था। कसाब के बाद अब फांसी का सवाल अफजल गुरु पर आकर रुक जाता है। काग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों ने सरकार से अफजल गुरु की फांसी की मांग की है। 2001 में संसद पर हुए हमले के मास्टर माइंड अफजल गुरु को भी जल्द से जल्द फासी पर चढ़ाया जाए। भाजपा ने कसाब के फांसी के फैसले का स्वागत किया है लेकिन इसके साथ ही अफजल गुरु की फांसी पर भी सवाल खड़े किए हैं।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कसाब की फांसी से भले ही इस हमले के पीड़ितों को न्याय मिल गया है लेकिन अभी हमारे देश में कुछ और आतंकी भी जिंदा हैं। उन्होंने संसद हमले के आरोपी अफजल गुरु को भी जल्द फांसी दिए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि कसाब को पहले ही फांसी दी जानी चाहिए थी लेकिन देर से ही सही यह फैसला स्वागत योग्य है।
काग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कसाब को फासी दिए जाने का स्वागत करते हुए ट्वीट किया है कि आखिरकार कसाब को फासी हो गई। तो अफजल गुरु की फांसी के लिए किसका इंतजार किया जा रहा है। भारत सरकार को अब पाकिस्तान में बैठकर साजिश रचने वालों पर ध्यान देना चाहिए। अफजल गुरु केस को भी जल्द हल किया जाना चाहिए। आमतौर पर काग्रेस अफजल गुरु की फासी के सवाल से टलती रही है। यह पहला मौका है जब काग्रेस के किसी नेता ने खुलकर अफजल गुरु को फासी देने की माग की है।
वहीं, उमर अब्दुल्ला ने भी ंट्वीट कर लिखा है कि राज्य और केंद्र सरकार ने काफी समझदारी से इस मामले को देखा है। उनके इस कदम से साफ होता है कि जरूरत पड़ने पर सरकार कुछ फैसले गोपनीय तरीके से भी ले सकती है।
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