सेना को अब कश्मीरी सेबों की फिक्र
बाढ़ से हुई बर्बादी के बाद जम्मू-कश्मीर में हालात पटरी पर लाने की कवायदों केबीच सेना को अब यहां के सेबों की चिंता भी सता रही है।
श्रीनगर [विस]। बाढ़ से हुई बर्बादी के बाद जम्मू-कश्मीर में हालात पटरी पर लाने की कवायदों केबीच सेना को अब यहां के सेबों की चिंता भी सता रही है।
राहत कार्यो में लगी सेना ने कश्मीर घाटी को सड़क के रास्ते अन्य इलाकों से जोड़ने के लिए युद्ध स्तर पर अभियान चलाया है ताकि अगले एक- दो हफ्तों में शुरू होने वाली कश्मीरी सेब की चुनाई के बाद यह बाजार तक पहुंच सके। सेना चिनार कोर के कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा ने बताया कि कश्मीर के लिए सेब की फसल बहुत अहम है। बाढ़ की मुश्किलों के बीच यदि कश्मीरी फल उत्पादक बाजार में अपनी फसल नहीं बेच पाए तो इससे उनके अलावा क्षेत्र के लोगों को भी बड़ी मुश्किल होगी। इसके मद्देनजर हम श्रीनगर को घाटी के अन्य इलाकों से जोड़ने के काम में जुटे हैं। सेना के इंजीनियरों की मदद से डोडा-किश्तवाड़ के रास्ते जम्मू तक का रास्ता यातायात के लायक बना दिया गया है। पुलवामा के पास गुडूर में बाढ़ से क्षतिग्रस्त पुल को दुरुस्त करने के लिए भी भारी मशीनों के साथ दस्तों को रवाना किया गया है। गौरतलब है कि सेब की फसल कश्मीर की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा सहारा है। राज्य में अगस्त के दौरान हुई अच्छी बारिश ने अच्छे पैदावार की उम्मीद भी जगाई थी। बाढ़ से फसल को मामूली नुकसान तो हुआ है, लेकिन किसानों को इसकी मुकम्मल कीमत मिली तो कश्मीर के लोगों को कुछ सुकून जरूर मिलेगा।