आडवाणी ने कहा, प्रधानमंत्री न बनने का अफसोस नहीं
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री न बन पाने का कोई दुख नहीं है। फिलहाल सभी दलों की ओर से मिलने वाला सम्मान उनके लिए इससे बढ़कर है।
नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री न बन पाने का कोई दुख नहीं है। फिलहाल सभी दलों की ओर से मिलने वाला सम्मान उनके लिए इससे बढ़कर है। पूर्व आइपीएस जेके सिन्हा द्वारा अत्यंत पिछड़ा वर्ग के मुसहर प्रजाति के विद्यार्थियों के लिए स्थापित आवासीय विद्यालय के कार्यक्रम में आए आडवाणी ने हर मुद्दे पर खुलकर बात की। जून 2013 से पहले भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के प्रबल दावेदार वरिष्ठ भाजपा नेता ने केंद्र की मोदी सरकार के अब तक के कार्यकाल को संतोषजनक बताया।
आडवाणी ने कहा, देश का प्रधानमंत्री न बनने का मुझे कोई अफसोस नहीं है। संसद में मिला स्थान और सभी दलों की ओर से मिल रहा सम्मान, इससे ज्यादा महत्वपूर्ण है। मोदी सरकार के कामकाज के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी केंद्र की इस सरकार को बहुत कम समय बीता है। फिलहाल इसका आकलन करना जल्दबाजी होगा। हालांकि अब तक इस सरकार द्वारा उठाया गया कोई भी कदम विवादास्पद नहीं है।
सरकार के अब तक लिए गए सभी फैसले सही रहे हैं। वैसे तो बेहतर आकलन के लिए इंतजार करना होगा, लेकिन संकेत सही मिल रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी व मुरली मनोहर जोशी के साथ भाजपा के मार्गदर्शक मंडल में शामिल आडवाणी ने कहा कि लोकसभा और हाल में हुए विधानसभा चुनावों में हमारी जीत का सबसे बड़ा कारण कांग्रेस ही रही है।
गठबंधन तोड़ने के लिए शिवसेना, जदयू जिम्मेदार
राजग से जदयू और शिवसेना के अलग होने के सवाल पर वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, इसमें इन्हीं दोनों दलों की गलती है। जब उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र विधानसभा में अकेले जाने का निर्णय किया तो मैंने व्यक्तिगत रूप से उन्हें फोन कर ऐसा न करने को कहा। राजग के गठन के समय से इसमें शामिल शिवसेना को अलग न होने की अपील भी की, लेकिन उद्धव ने इसे स्वीकार नहीं किया।
हमने कभी अपने सहयोगियों का साथ नहीं छोड़ा। बिहार में जदयू ने भी खुद साथ छोड़ा था। 2010 में पटना में हुई पार्टी की राष्ट्रीय बैठक में नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी के साथ भोज से इन्कार कर दिया और गठबंधन तोड़ लिया था।