संयुक्त राष्ट्र अधिवेशनः कश्मीर पर कहीं नहीं मिला शरीफ को समर्थन
नवाज शरीफ ने दुनिया भर में कश्मीर पर समर्थन जुटाने के लिए 22 दूत भेजे, संयुक्त राष्ट्र को लगातार पत्र लिखा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पहले पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ ने दुनिया भर में कश्मीर पर समर्थन जुटाने के लिए 22 दूत भेजे, संयुक्त राष्ट्र को लगातार पत्र लिखा। फिर खुद संयुक्त राष्ट्र की बैठक में हिस्सा लेने पहुंच गये और अपने भाषण में कश्मीर पर खूब रोना भी रोया।
भूख, गरीबी से जूझ रहे पाकिस्तान के पीएम के भाषण का 80 फीसद हिस्सा कश्मीर पर रहा। लेकिन नतीजा सिफर। संयुक्त राष्ट्र के सालाना अधिवेशन के दो दिन बीत गये और अमेरिका समेत 50 राष्ट्रों के प्रमुखों ने भाषण दे दिया लेकिन किसी ने भी न तो कश्मीर का जिक्र किया और न ही शरीफ को तवज्जो दी।यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के महासचिव बान की मून के भाषण में भी कश्मीर का जिक्र नहीं हुआ। जबकि शरीफ पिछले एक महीने में दो बार उन्हें पत्र लिख चुके हैं।
वैश्विक कूटनीति में शरीफ को कितनी कामयाबी मिली है इसे इस बात से समझा जा सकता है कि जब वह भाषण दे रहे थे पूरे हॉल में महज 15 लोग थे और वह भी सिर्फ पाकिस्तान के पीएमओ व विदेश मंत्रालय के अधिकारी। यही नहीं कई देशों ने उल्टे शरीफ को ही आतंकी गतिविधियों पर काबू पाने की सलाह दे दी। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जब अपने भाषण में कहा कि हर देश को आतंक को पनाह देना बंद करना होगा तो उनका सीधा इशारा पाकिस्तान की तरफ था।
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शरीफ के भाषण के कुछ ही देर बाद संयुक्त राष्ट्र में भारत ने पाकिस्तान के आतंकी चेहरे को दुनिया के सामने बेनकाब करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। भारत ने बगैर किसी लाग लपेट के कहा कि पाकिस्तान एक आतंकी राष्ट्र है और वह भारत के खिलाफ लगातार आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है। भारत न तो कभी पाक सरकार की तरफ से पोषित आतंक को बढ़ने देगा और न ही इसे सहन करेगा।
भारतीय प्रतिनिधि ईनम गंभीर ने कहा कि कभी शिक्षा का केंद्र तक्षशिला (अब पाकिस्तान में) आज वैश्विक आतंकवाद का गढ़ बन चुका है। गंभीर ने शरीफ को आइना दिखाते हुए कहा कि धोखा देना पाकिस्तान की नियति है। आतंकियों को पाकिस्तान प्रशासन की खुली छूट है और वे आतंकी गतिविधियों के लिए खुलेआम चंदा एकत्रित कर रहे हैं।भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप के मुताबिक जिन 50 देशों ने अभी तक भाषण दिया है उनमें से अधिकांश ने आतंकवाद को विश्व शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया है। कई देशों ने आतंक को समर्थन देने वाले देशों को सीधे तौर पर खरी-खोटी सुनाई है। अगर शरीफ इसे अपनी कूटनीतिक सफलता मान रहे हैं तो इस बारे में क्या कहा जा सकता है।
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