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करदाताओं की जेब में ज्यादा पैसा चाहते हैं जेटली

नौकरीपेशा पर टैक्स का बोझ नहीं बढ़ेगा। सरकार वेतनभोगियों तथा मध्यवर्ग पर और टैक्स का बोझ डालने के पक्ष में नहीं है। लेकिन, कर चोरों को टैक्स के दायरे में लाने कि लिए वह कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को ये बातें कहीं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 23 Nov 2014 12:22 AM (IST)Updated: Sun, 23 Nov 2014 10:27 AM (IST)
करदाताओं की जेब में  ज्यादा पैसा चाहते हैं जेटली

नई दिल्ली। नौकरीपेशा पर टैक्स का बोझ नहीं बढ़ेगा। सरकार वेतनभोगियों तथा मध्यवर्ग पर और टैक्स का बोझ डालने के पक्ष में नहीं है। लेकिन, कर चोरों को टैक्स के दायरे में लाने कि लिए वह कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को ये बातें कहीं।

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वित्त मंत्री ने इच्छा जताई कि वास्तव में वह चाहेंगे कि करदाताओं की जेब में ज्यादा पैसा हो, जिससे वे ज्यादा खर्च करें। नतीजतन अप्रत्यक्ष कर संग्रह बढ़ेगा। उन्होंने कहा, 'कर आधार बढ़ाने का आखिर क्या मतलब है?... मैं भी उतना ही अप्रत्यक्ष कर देता हूं जितना कि मेरा सहायक देता है। हमारी खपत की मात्रा अलग-अलग हो सकती है। लिहाजा हर कोई अप्रत्यक्ष कर दे रहा है।

समाचार एजेंसी पीटीआइ के संवाददाताओं के साथ बातचीत में जेटली बोले कि वास्तव में आज करीब आधे टैक्स अप्रत्यक्ष कर हैं। आप उत्पाद शुल्क देते हैं, सीमा शुल्क देते हैं, सेवा कर देते हैं। जहां तक आयकर का सवाल है, सरकार इसी उद्देश्य से टैक्स दायरा बढ़ाने के पक्ष में है जिससे टैक्स चोर इसमें आ जाएं। जेटली से पूछा गया था कि क्या वह अपने बजट में राजस्व बढ़ाने के लिए कर आधार बढ़ाएंगे।

जेटली फरवरी में पहली बार पूरे साल का बजट पेश करेंगे। उन्होंने बताया कि पिछले बजट में आयकर छूट की सीमा दो लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये की गई थी। उनकेपास धन की कमी नहीं होती तो इस सीमा को वह और बढ़ाते। जब हम सभी कटौतियों को शामिल करते हुए 2.5 लाख रुपये की आयकर छूट सीमा के बारे में बात करते हैं, तो पता चलता है कि आज 3.5 से 4 लाख रुपये सालाना कमाई वाले को कर नहीं देना पड़ता है।

राजस्व की स्थिति चुनौतीपूर्ण

वित्त मंत्री ने माना कि राजस्व की स्थिति चुनौतीपूर्ण हैं। पिछली बार दी गई कई रियायतें क्षमता से बाहर थीं। कर चोरी में जुटे लोगों को इसके दायरे में लाने के सभी प्रयास होंगे। कमजोर वर्ग को कर दायरे में लाना आज की नीति नहीं हो सकती। वास्तव में अगर आप उनकी जेब में अतिरिक्त पैसा डालते हैं और उन्हें खर्च करने की छूट देते हैं तो ज्यादा अप्रत्यक्ष कर मिलेगा। इससे अधिक आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जा सकता है।

काले धन का पता लगाना आसान

देश में काले धन पर वित्त का कहना था कि यह बड़ी मात्रा में है। इसका आसानी से पता लगाया जा सकता है। घरेलू स्तर पर रीयल एस्टेट, खनन, महंगे आभूषणों, लक्जरी सामानों में यह खपता है। शिक्षण संस्थानों में भी यह पहुंच गया है। लिहाजा इसमें बिकवाल और लिवाल का पता लगाना बहुत मुश्किल नहीं है।


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