नेवी वार रूम लीक केस में नौसेना के बर्खास्त अफसरों को राहत नहीं
वर्ष 2005 के नेवी वार रूम लीक मामले में बर्खास्त राणा और वीके झा ने कोर्ट में दलील दी कि विभाग उन्हें नोटिस दिए बगैर बर्खास्त नहीं कर सकता।
नई दिल्ली, प्रेट्र : नेवी वार रूम लीक मामले में नौसेना के बर्खास्त अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। जासूसी के आरोप में निकाले गए कमांडर विजेंद्र राणा और वीके झा ने सशस्त्र बल ट्रिब्यूनल (एएफटी) के 2013 के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। लेकिन कोर्ट ने इसमें हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया।
वर्ष 2005 के नेवी वार रूम लीक मामले में बर्खास्त राणा और वीके झा ने कोर्ट में दलील दी कि विभाग उन्हें नोटिस दिए बगैर बर्खास्त नहीं कर सकता। वहीं, अभियोजन पक्ष के वकील ने दोनों पर बाहरी एजेंसियों को संवेदनशील सूचनाएं देने का आरोप लगाया। जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने राणा और झा की दलील खारिज करते हुए एएफटी के फैसले को सही ठहराया। कोर्ट ने कहा कि सरकार के फैसले में हस्तक्षेप करने की कोई वजह नहीं है।
क्या है मामला
इस चर्चित जासूसी कांड में नेवी वार रूम और एयर हेडक्वार्टर से सात हजार पेज की संवेदनशील रक्षा सूचनाएं लीक कर दी गई थीं। एक अधिकारी के पास से पेन ड्राइव बरामद होने के बाद यह मामला उजागर हुआ था। जासूसी के आरोपों की जांच के लिए गठित बोर्ड ऑफ इन्क्वायरी में दोनों अधिकारियों की बर्खास्तगी की सिफारिश की गई थी। सरकार ने 26 अक्टूबर, 2005 को राणा और झा की सेवाएं समाप्त कर दीं। दोनों ने इसे एएफटी में चुनौती दी थी, जिसे 30 जून, 2010 को ठुकरा दिया गया था।
इस मामले में राणा और झा के अलावा नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण पराशर, वायुसेना के पूर्व विंग कमांडर संभा जी सुर्वे और हथियार दलाल अभिषेक वर्मा के खिलाफ गोपनीयता कानून के तहत सीबीआइ की विशेष अदालत में केस चल रहा है। मुख्य आरोपी रवि शंकरन फरार है।