ममता से गठबंधन का सवाल ही नहीं : वाम
वामदलों ने ममता के साथ गठबंधन की संभावनाओं से इंकार किया है। भाकपा नेता गुरदास दासगुप्ता ने कहा कि ममता के साथ गठबंधन का सवाल ही नहीं उठता। ममता बनर्जी की राजनीति के कारण ही भाजपा को बंगाल में पैर जमाने का मौका मिला है। ममता ने कहा था कि राजनीति में कोई अछूत नहीं होता फिर वे कम्युनिस्ट ही क्यों न हो। एक साक्ष
कोलकाता। वामदलों ने ममता के साथ गठबंधन की संभावनाओं से इंकार किया है। भाकपा नेता गुरदास दासगुप्ता ने कहा कि ममता के साथ गठबंधन का सवाल ही नहीं उठता। ममता बनर्जी की राजनीति के कारण ही भाजपा को बंगाल में पैर जमाने का मौका मिला है।
ममता ने कहा था कि राजनीति में कोई अछूत नहीं होता फिर वे कम्युनिस्ट ही क्यों न हो। एक साक्षात्कार में ममता से पूछा गया था कि क्या वे वामपंथियों से गठबंधन करने को तैयार हैं। माकपा ने भी राज्य में भाजपा के पैर जमाने के लिए ममता को दोषी ठहराया है। पार्टी पोलित ब्यूरो के सदस्य सूर्यकांत मिश्रा ने कहा कि 1998 में ममता ने ही सबसे पहले भाजपा से हाथ मिलाया। वाममोर्चे के अन्य दल फॉरवर्ड ब्लाक और आरएसपी के भी लगभग यही विचार हैं। ममता की तुष्टीकरण की नीतियों ने सांप्रदायिक ताकतों को उभरने का मौका दिया।
ममता ने पुष्टि कर दी
ममता के बयान पर भाजपा ने कहा कि उनके दृष्टिकोण ने इस बात की पुष्टि कर दी कि भाजपा बंगाल में आगे बढ़ रही है। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि 'ममता भाजपा की प्रगति से डर कर अपने विरोधियों को ऐसे संकेत भेज रही हैं।'