कलाम की किसी वसीयत की जानकारी नहीं
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम हो सकता है कि अपनी कोई वसीयत नहीं छोड़ गए हों और उनकी जो थोड़ी संपत्ति बची है उसकी देखभाल की जिम्मेदारी अपने बड़े भाई को सौंप दी हो।
रामेश्वरम (तमिलनाडु) । पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम हो सकता है कि अपनी कोई वसीयत नहीं छोड़ गए हों और उनकी जो थोड़ी संपत्ति बची है उसकी देखभाल की जिम्मेदारी अपने बड़े भाई को सौंप दी हो।
कलाम के भतीजे जैनुलाब्दीन ने कहा, मुझे इसकी जानकारी नहीं है कि मेरे चाचाजी कोई वसीयत छोड़ गए हैं। एक-एक कर हमारी बहुत सारी संपत्तियां बिक गई। जो बची हैं उसमें पैतृक घर और उसके पास थोड़ी जमीन है जिसे पिता उनके लिए छोड़ गए थे। जैनुलाब्दीन कलाम के बड़े भाई मुहम्मद मुथु मीरा लेब्बई मरईकर के पुत्र हैं। उन्होंने कहा कि चाचाजी ने बडे़ भाई को अपनी संपत्ति की देखभाल करने के लिए कहा था। हम लोग उसकी देखभाल कर रहे हैं।
कलाम का पैतृक घर भी अजीब है। पहले तल पर संग्रहालय है। दूसरे तल पर जैनुलाब्दीन शंख और रामेश्वरम की यादगार चीजें बेचते हैं। जमात के एक सदस्य ने बताया कि कलाम हर साल 1.10 लाख रुपये रमजान में मस्जिद में बांटे जाने वाले भोजन के लिए भेजते थे। इस साल रमजान से पहले कलाम साहब ने अपनी पेंशन से परिवार के सभी सदस्यों को पैसा भेजा था।
काफी पैसे वाले थे कलाम के पूर्वज
कलाम के पूर्वजों की व्यापार में रुचि थी और पहले काफी संपत्ति थी। सदियों पहले जब पंबन द्वीप (रामेश्वरम) तक पहुंचने के लिए पुल नहीं था तब वे यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मोटर नौका (फेरी) सेवा का संचालन करते थे। इसी से परिवार की पदवी मारा कलाम (लकड़ी की नाव) इयाक्किवर्स हो गई जिसे कालांतर में मरईकर कहा जाने लगा। उनके पूर्वज फेरी से द्वीप पर और श्रीलंका ले जाकर किराना सामान बेचते थे।
.और अधूरा रह गया डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का पायलट बनने का सपना