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अनोखी पहलः विदेश की नौकरी छोड़ गांव में खोला डेयरी फॉर्म

टांडा विजेसी गांव के गौरव व उनकी पत्नी निक्की हों या सरदार सुखवीर सिंह। यह वे नाम हैं जिनमें से किसी ने विदेश में मोटे पैकेज की नौकरी छोड़ी, किसी ने कारोबार..। वतन लौटे तो ठेठ देसी अंदाज में अपने गांव को ही कर्मस्थली बनाया। शानदार डेयरी खोलकर न केवल

By anand rajEdited By: Published: Sun, 12 Apr 2015 08:48 AM (IST)Updated: Sun, 12 Apr 2015 01:50 PM (IST)

पीलीभीत, [लोकेश प्रताप सिंह]। यह कहावत तो सुनी ही होगी, पढ़े फारसी बेचें तेल, यह देखो कुदरत का खेल..। कहने को किसी वक्त में यह लाइनें नकारात्मक भाव से गढ़ी हों, किसी पर तंज कसने वाली हों लेकिन, आज इनके मायने बदल चुके हैं। बदलाव की इस डगर पर चलने वाले तो तमाम हैं मगर..। टांडा विजेसी गांव के गौरव व उनकी पत्नी निक्की हों या सरदार सुखवीर सिंह। यह वे नाम हैं जिनमें से किसी ने विदेश में मोटे पैकेज की नौकरी छोड़ी, किसी ने कारोबार..। वतन लौटे तो ठेठ देसी अंदाज में अपने गांव को ही कर्मस्थली बनाया। शानदार डेयरी खोलकर न केवल दूध की बंपर पैदावार कर रहे हैं, मोटा मुनाफा भी कमा रहे हैं। इससे भी ज्यादा आईना उन लोगों को दिखा रहे हैं जो अक्सर रोजगार का रोना रोकर सिर्फ और सिर्फ सरकार को कोसते दिखते हैं..।

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किस्मत सिर्फ बड़े शहरों या विदेश में नहीं चमकती। कुछ कर गुजरने का माद्दा हो तो अपनी मिट्टी को भी किया जा सकता है। टनकपुर मार्ग पर स्थित टांडा विजेसी गांव के प्रगतिशील किसान चौधरी वीरपाल सिंह के परिवार ने यही कर दिखाया। उनके बेटे गौरव ने दिल्ली विवि से एमएससी (इकोनामिक्स) की और और फिर स्वीटजरलैंड में काम शुरू किया। इसी बीच उनकी शादी चौधरी निक्की पिलानिया से हो गई। निक्की ने दिल्ली विश्वविद्यालय से एमकाम के बाद लंदन के एक ख्यातिलब्ध शिक्षण संस्थान से प्रबंधन का कोर्स किया। इसके बाद इंग्लैंड में ही एक कंपनी में एक करोड़ के पैकेज की नौकरी भी मिल गई। बावजूद वहां मन नहीं लगा और फिर दोनों ने गांव आकर पिता की विरासत संभालने का निर्णय लिया।

चौधरी गौरव ने जहां जैविक खेती में हाथ आजमाना शुरू किया, वहीं उनकी पत्नी निक्की ने हरियाणा से कुछ अच्छी प्रजाति की बछिया लाकर डेयरी उद्योग की नींव रख दी। धीरे-धीरे यह कारोबार खूब फलने-फूलने लगा। इस वक्त उनके पास 55 से अधिक दुधारू गायें है। उनसे प्रतिदिन करीब 500 लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है। यह दूध सुबह तो शहर में निश्चित ग्राहकों को डोर टू डोर दिया जाता है, जबकि शाम का दूध उत्तरांचल की आंचल सहकारी दुग्ध समिति को जाता है। फार्म पर ही गोबर से वर्मी कंपोस्ट खाद भी तैयार की जाती है। निक्की बताती हैं कि विदेश या फिर महानगरों की भागदौड़ एवं तनावपूर्ण जिंदगी को देखते हुए यहां गांव में डेयरी कारोबार से बहुत सुकून मिलता है। स्वास्थ्य के लिहाज से कम से कम यहां शुद्ध पानी और खाद्य पदार्थ उपलब्ध रहता है। कहती हैं कि ग्रामीण महिलाओं को अपनी आय बढ़ाने के लिए पशुपालन की राह पकड़नी चाहिए।

पति-पत्नी की तरह ही सरदार सुखवीर सिंह भी डेयरी कारोबार से भरपूर आय कर रहे हैं। कहने को इटली में पेट्रोल पंप का कारोबार है। उन्होंने भी वहां से काम समेटकर अब अमरिया में कुलहार डेयरी फार्म खोला है, जिसमें करीब 25 दुधारू गायें हैं।

जैसे बुद्ध के बाद कबीर, गुरु नानक और ज्योतिबा फुले और विवेकानंद ने अपने समय में समाज को बुराइयों से मुक्त करने का काम किया.. अंबेडकर पांचवें चरण के पुनरुत्थान के अगुआ थे। उनके पहले सावरकर, महात्मा गांधी व मदन मोहन मालवीय थे। -राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे बुद्ध के बाद कबीर, गुरु नानक और ज्योतिबा फुले और विवेकानंद ने अपने समय में समाज को बुराइयों से मुक्त करने का काम किया.. अंबेडकर पांचवें चरण के पुनरुत्थान के अगुआ थे। उनके पहले सावरकर, महात्मा गांधी व मदन मोहन मालवीय थे।

-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ चौधरी डेयरी फार्म ने अच्छी नस्ल की गायें तैयार करने के लिए यूके से सेक्स सीमेन लाने की अनुमति मांगी थी, उन्हें अनुमति दे दी गई है। डेयरी कारोबार में पीलीभीत पूरे प्रदेश में दूसरे स्थान पर है। - वीके मलिक, मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी, पीलीभीत

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