गंगा की बदहाली के लिए दोषपूर्ण योजना जिम्मेदार: एनजीटी
एनजीटी ने गंगा की बदहाल स्थिति के लिए दोषपूर्ण योजना को जिम्मेदार माना है।
नई दिल्ली (पीटीआई)। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गंगा की बदहाली के लिए दोषपूर्ण योजना और अवैज्ञानिक तरीकों को जिम्मेदार ठहराया है। ट्रिब्यूनल ने गंगा में विभिन्न औद्योगिक इकाइयों की ओर से गिराए जा रहे कचरे के बारे में पुख्ता सूचना उपलब्ध नहीं होने पर भी चिंता जताई है।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और एनजीटी के प्रमुख स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने गंगा में बढ़ते प्रदूषण से जुड़े मामलों की सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी की है। पीठ ने कहा, 'ट्रिब्यूनल को मौलिक सवाल जैसे शहर या नदी की सफाई के लिए अपनाए गए तरीकों को स्पष्ट करना होगा। खतरनाक कचरों के बारे में आकलन नहीं होने के कारण गंगा में अव्यवस्था है।'
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ट्रिब्यूनल ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पहले चरण के खंड-बी के दायरे में आने वाले वैसे औद्योगिक इकाइयों के बारे में जानकारी तलब की है, जो औद्योगिक महानिदेशालय में पंजीकृत हों या गैरपंजीकृत। ऐसी इकाइयों को परिचालन की अनुमति देने के बारे में भी सूचना मांगी गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और यूपी जल निगम के द्वारा इस बारे में जानकारी नहीं देने पर यह आदेश दिया गया है।
अगली सुनवाई 24 अक्टूबर को होगी।पीठ ने कहा कि सख्त निर्देश के बावजूद गंगा किनारे स्थित चमड़ा उद्योग पहले की तरह चल रहे हैं। ये गंगा में प्रदूषण की मुख्य वजह हैं। इससे पहले एनजीटी गंगा के पुनरुद्धार के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगा चुका है।
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