आइएएस, आइपीएस का निलंबन अब नहीं होगा आसान
देश में आए दिन निलंबन की मार झेल रहे आइएएस, आइपीएस अधिकारियों को केंद्र सरकार ने बड़ी राहत दी है। उसने इस बारे में नियमों में बदलाव करने का फैसला कर राज्यों के अधिकार में कटौती की है। प्रस्तावित नए प्रावधानों के प्रभावी होने पर राज्य सरकारों को अखिल भारतीय
नई दिल्ली। देश में आए दिन निलंबन की मार झेल रहे आइएएस, आइपीएस अधिकारियों को केंद्र सरकार ने बड़ी राहत दी है। उसने इस बारे में नियमों में बदलाव करने का फैसला कर राज्यों के अधिकार में कटौती की है। प्रस्तावित नए प्रावधानों के प्रभावी होने पर राज्य सरकारों को अखिल भारतीय सेवाओं (आइएएस, आइपीएस, आइएफओएस यानी भारतीय वन सेवा) से जुड़े अधिकारियों के निलंबन की सूचना केंद्र को 48 घंटे के अंदर देनी होगी। इतना ही नहीं इन अधिकारियों को अब एक सप्ताह से ज्यादा समय तक के लिए निलंबित भी नहीं किया जा सकेगा। यह नियम उन मामलों में नहीं लागू होगा, जिन पर राज्य सरकारों की पुनरीक्षण समिति ने कार्रवाई के लिए पूर्व में अनुमति दी हो।
अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी निलंबन को लेकर राज्य सरकारों के कहर से बचने के लिए केंद्र से लगातार इस तरह की सुरक्षा चाह रहे थे। केंद्र ने उनकी इस मांग पर संज्ञान लेते हुए यह फरमान राज्य सरकारों को जारी करने का निर्णय लिया है। इस पूरे मामले पर केंद्र की पुनरीक्षण समिति नजर रखेगी। इस आदेश से देश के विभिन्न राज्यों में तैनात आइएएस, आइपीएस व आइएफओएस कैडर के अधिकारियों को बड़ी राहत मिली है।
केंद्र की पुनरीक्षण समिति को विभागीय सचिव स्तर के अधिकारियों के हवाले किया गया है जो पूरी चौकसी से इस तरह से जुड़े मामलों पर नजर रखेंगे। केंद्र के इस आदेश को मानना राज्य सरकारों के लिए अनिवार्य होगा। यहीं नहीं नए नियम के अनुसार, आइएएस, आइपीएस और आइएफओएस के निलंबन के मामले में राज्य सरकारों के लिए केंद्र से 30 दिन के भीतर मंजूरी लेना भी अनिवार्य होगा। मौजूदा प्रावधानों के तहत यह अवधि 45 दिन है। नए नियम को राज्य सरकारों के प्रशासनिक तंत्र से विचार- विमर्श के बाद कार्मिक मंत्रालय ने तैयार किया है।
केंद्र व राज्यों के बीच बढ़ सकती है रार :
जानकारों के अनुसार, केंद्र के इस नए नियम का हालांकि राज्य सरकारें अभी विरोध नहीं कर रहीं हैं, लेकिन आने वाले दिनों में यह मामला तूल पकड़ सकता है। वर्तमान में केंद्र व राज्यों के बीच ढेरों ऐसे विवादित मामले हैं, जिनको लेकर राज्य सरकारों को आपत्ति है। विगत में राज्य सरकारें कई मुद्दों पर केंद्र से भिड़ चुकी हैं।
पीडि़त अधिकारियों की फेहरिस्त :
देश में तथाकथित रूप से निलंबन व तबादलों से पीडि़त अधिकारियों की सूची बहुत लंबी है, लेकिन कुछ ऐसे अधिकारी ऐसे हैं, जो अपने निलंबन व तबादलों के बाद सुर्खियां बटोरने में न सिर्फ कामयाब रहे, बल्कि उनको लेकर राजनीतिक नूरा- कुश्ती भी हुई। अशोक खेमका, दुर्गा शक्ति नागपाल व कुलदीप नरायण उन अधिकारियों में शुमार हैं जो तथाकथित रूप से राज्य सरकारों की नाइंसाफी के शिकार हुए।
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