अब पुरानी चीजों को खोजना हो जाएगा आसान
नई तकनीक ने संदेश भेजने में तेजी ही नहीं लाई उसके संभालने की चिंता भी साथ ले आई। पत्र और डायरी को लंबे समय तक संभालना आसान था ईमेल संग्रह एक कठिन काम है। लेकिन धीरज रखिए कंप्यूटर पर शोध करने वालों ने इसे आसान कर दिया है। स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय
नई दिल्ली। नई तकनीक ने संदेश भेजने में तेजी ही नहीं लाई उसके संभालने की चिंता भी साथ ले आई। पत्र और डायरी को लंबे समय तक संभालना आसान था ईमेल संग्रह एक कठिन काम है। लेकिन धीरज रखिए कंप्यूटर पर शोध करने वालों ने इसे आसान कर दिया है। स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय ने एक ऐसा साफ्टवेयर विकसित कर दिया है जिससे संदेश भेजने वाले और पाने वाले का पूरा ब्योरा और ईमेल में अटैच की गई सामग्री को देखा-पढ़ा जा सकता है।
संदेश आदान प्रदान का सबसे आसान और त्वरित माध्यम ईमेल आज एक अनिवार्य डिजीटल विरासत बन चुका है। इनको व्यवस्थित करना और वर्ष क्रम में रखना अत्यंत कठिन काम है। ईमेल को इस तरह से व्यवस्थित करने की कल्पना वर्षों से सुधींद्र हंगल के मन में घर किए रही। वर्ष 2007 में वह स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से कंप्यूटर साइंस में डॉक्टरेट की उपाधि के लिए शोध कार्य शुरू किया।
इन दिनों हंगल दिल्ली के अशोक विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। 'निजी डिजीटल अभिलेख संग्रह का विचार' और उसके प्रबंधन के लिए साफ्टवेयर बिलकुल नया था। स्टैनफोर्ड में ही उन्होंने 2009 में 'माउस-फॉर मेमोरिज यूजिंग ईमेल' पर काम शुरू किया। कुछ ही वर्ष बाद परिसर के डिजीटल संग्राहकों का ध्यान उनकी ओर गया। डिजीटल संग्राहकों को कवि और लेखक रॉबर्ट क्रीले के 1,50,000 ईमेल संग्रह से जूझना पड़ रहा था। स्टैनफोर्ड पुस्तकालय की टीम ने ईमेल-संग्रह को व्यवस्थित करने के लिए एक ओपन-सोर्स साफ्टवेयर प्रोग्राम विकसित किया। अन्य संस्थान के सहयोगियों से सुझाव मिलने के बाद पिछले महीने ही इपीएएडी नाम से मुफ्त पैकेज जारी किया।
साफ्टवेयर यह करता है आसान
यह साफ्टवेयर पूछे गए एक शब्द के सहारे पूरी पांडुलिपि सामने ला देता है। संदेश भेजने वालों के कनेक्शन और नेटवर्क तक का पता बता है। यह व्यक्ति के विभिन्न ईमेल पता का ब्योरा दे सकता है और तलाशने वाले को ईमेल के साथ संलग्न की गई सामग्री को ईमेल खोले बगैर देखने की सुविधा भी प्रदान करता है।