पीने के पानी से लेकर सड़क निर्माण तक में सहयोग दे रहा है एनडीबी, कम समय में कायम की ऊंची साख
ब्रिक्स की स्थापना के बाद इसके सदस्य देशों के विकास के मकसद से बनाया गया न्यू डेवलेपमेंट बैंक आज एक अहम मुकाम हासिल कर चुका है। संगठन के सदस्य देशों में इस बैंक की वित्तीय मदद से कई तरह के प्रोजेक्ट चल रहे हैं।
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। कोरोना काल के बीच हुई ब्रिक्स सदस्य देशों की वर्चुअल बैठक लगभग पूरी दुनिया की मीडिया की सुर्खियां बनी। इस दौरान कई मुद्दों पर चर्चा हुई। ये मुद्दे खासतौर पर वो थे जिनसे ब्रिक्स के सदस्य देशों के साथ पूरा विश्व प्रभावित होता है। इसमें वैश्विक महामारी कोविड-19 की रोकथाम, इसकी वैक्सीन की उपलब्धता, सदस्य देशों का आर्थिक विकास, समान हितों के मुद्दों पर एक राय कायम करना आदि शामिल थे।
ब्रिक्स का मकसद
ब्रिक्स की स्थापना के पीछे सदस्य देशों में आपसी समझ कायम करना, समान हितों के मुद्दों पर एक राय बनाना, व्यापारिक साझेदारी को बढ़ाना, संबंधित देशों में इसके लिए नियमों को सुगम बनाना था। इन सभी मकसद की पूर्ति के के लिए ब्रिक्स में न्यू डेवलेपमेंट बैंक (एनडीबी) बनाया गया। आज ये बैंक सदस्य देशों की अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की तर्ज पर मदद कर रहा है। इस बैंक का मुख्यालय चीन के शंघाई शहर में है।
2010 में शामिल हुआ दक्षिण अफ्रीका
आपको बता दें कि ब्रिक्स में भारत, चीन, रूस, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील शामिल है। वर्ष 2010 से पहले तक ये चार देशों का संगठन हुआ करता था लेकिन दक्षिण अफ्रीका को इसमें शामिल करने के बाद इसकी सदस्य देशों की संख्या पांच हो गई। इसके सदस्य देशों पर यदि नजर डालें तो पता चलता है कि अलग-अलग महाद्वीप में इनकी एक अहम भूमिका है।
कम समय में कायम की बेहतर साख
बेहद कम समय में इस बैंक ने अपनी जबरदस्त साख कायम की है। विश्व की विभिन्न रेटिंग एजेंसियों ने इसको बेहतर रेटिंग भी दी है। जैस एस एंड पी और फिच ने इसको डबल ए प्लस, शेंगजिन एंड लियान्हे रेटिंग, जापान रेटिंग एजेंसी और एलालिटिकल क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने इसको ट्रिपल ए रेटिंग दी है।
कम समय में तय की है लंबी दूरी
एक दिन पहले हुई ब्रिक्स की बैठक में एडीबी के अध्यक्ष मार्कोस ट्रोजो ने भी सदस्य देशों के समक्ष अपनी बात रखी थी। इस बैंक उपाध्यक्ष भारत के अनिल किशोरा हैं। आपको बता दें कि वर्ष 2015 में जब एनडीबी की स्थापना हुई थी तब से लेकर अब तक महज पांच वर्ष में इस बैंक ने सदस्य देशों में विकास को लेकर लंबी दूरी तय की है। वर्तमान में इस बैंक की मदद से 21 करोड़ डॉलर की लागत विभिन्न देशों में 65 प्रोजेक्ट चल रहे हैं। एनडीबी के अध्यक्ष मार्कोस ने ऐसी संभावना जताई है कि 2020 के अंत तक विभिन्न देशों को दी जाने वाले राशि 26 करोड़ डॉलर तक हो जाएगी।
शहरी-ग्रामीण विकास से लेकर कोविड-19 की रोकथाम में सहयोग
ये बैंक खासतौर पर सदस्य देशों में शहरी विकास, पीने का पानी, सेनिटेशन, ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग को प्रमुखता देता है। वैश्विक महामारी कोविड-19 के लिए इस बैंक ने इमरजेंसी रेस्पॉन्स प्रोग्राम के तहत 10 करोड़ डॉलर की राशि तय की थी। इनमें से 5 करोड़ डॉलर की राशि सदस्य देशों को वित्तीय मदद और सामाजिक सुरक्षा के लिए और अन्य 5 करोड़ डॉलर की राशि कोविड-19 से धराशायी हुई अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए रखी गई है। इसके अंतर्गत रोजगार के अवसर पैदा करना और छोटे रोजगारों को वित्तीय मदद देना शामिल है।
सदस्य देशों के बीच डिजिटल प्लेटफार्म बनाना
इस बैंक का एक और मुख्य काम सदस्य देशों में निवेश और आधारभूत ढांचे के निर्माण के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म को तैयार करना भी है, जिसका फायदा अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सके। इसके लिए एनडीबी सदस्य देशों में अपने क्षेत्रीय कार्यालय खोलने पर भी विचार कर रहा है। ब्रिक्स की बैठक में दिए अपने भाषण में मार्कोस ने अगले पांच वर्षों के लिए बैंक के गोल भी निर्धारित कर दिए। इनमें एनडीबी को विश्व का सर्वोत्तम बैंक बनानाबनाना भी शामिल है।
बैंक का वित्तीय सहयोग
भारत के मध्य प्रदेश, असम और राजस्थान में पीने के पानी और सड़कों, पुलों के निर्माण, मुंबई में मेट्रो रेल प्रोजेक्ट में ये बैंक सहयोग कर रहा है। इसके अलावा बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क निर्माण में भी ये बैंक सहयोग कर रहा है। रूस के सेनिटेशन और वाटर सप्लाई प्रोजेक्ट समेत प्राचीन शहरों के विकास के लिए वित्तीय मदद मुहैया करवाई है। इसी तरह से चीन के सोलर प्रोजेक्ट, होहोत में एयरपोर्ट निर्माण, जियांग्सी में प्राकृतिक गैस के विकास समेत कई दूसरे पावर प्रोजेक्ट के लिए इसी बैंक से मदद मिली है। ब्राजील के ट्रांस अमेजन प्रोजेक्ट को भी इस बैंक से मदद मिली है।
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