नेस्ले इंडिया को मिली मैगी निर्यात की इजाजत
बांबे हाई कोर्ट ने मंगलवार को नेस्ले इंडिया को बड़ी राहत देते हुए मैगी के निर्यात की अनुमति दे दी। कोर्ट ने यह छूट भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के यह कहने के बाद दे दी कि उसे कंपनी द्वारा अपने उत्पाद को विदेश में निर्यात करने पर
मुंबई। बांबे हाई कोर्ट ने मंगलवार को नेस्ले इंडिया को बड़ी राहत देते हुए मैगी के निर्यात की अनुमति दे दी। कोर्ट ने यह छूट भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के यह कहने के बाद दे दी कि उसे कंपनी द्वारा अपने उत्पाद को विदेश में निर्यात करने पर कोई एतराज नहीं है। लेकिन भारत में मैगी बेचने के मामले में उसे कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली। देश में उसकी बिक्री पर प्रतिबंध जारी रहेगा। क्योंकि एफएसएसएआई का कहना था कि नेस्ले उत्पाद की नौ किस्मों के जनस्वास्थ्य के लिए खतरनाक होने की वजह से उन पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले पर वह कायम है।
एफएसएसएआई के वकील महमूद प्राचा को सुनने के बाद न्यायमूर्ति वीएम कनाडे और न्यायमूर्ति बीपी कोलाबावाला की पीठ ने नेस्ले को मैगी निर्यात करने की अनुमति दे दी। बकौल प्राचा, 'यदि कंपनी दावा करती है कि उसके उत्पाद सुरक्षित हैं और सुरक्षा मानकों का पालन करती है तो उसे इन उत्पादों को नष्ट करने की बजाय निर्यात करने दिया जाए।' गौरतलब है कि नेस्ले इंडिया ने उसके लोकप्रिय खाद्य स्नैक की नौ किस्मों पर एफएसएसएआई के रोक संबंधी पांच जून के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। उसने महाराष्ट्र सरकार के फैसले पर भी सवाल उठाया है। महाराष्ट्र सरकार ने इसी आधार पर इन उत्पादों की बिक्री पर रोक लगा दी थी कि वे मानव स्वास्थ्य के लिए असुरक्षित एवं खतरनाक हैं।
इस दौरान नेस्ले के वकील इकबाल छागला ने कहा कि महीने के आखिर तक कंपनी मैगी का 17 हजार करोड़ पैकेट नष्ट करेगी। इसमें से 11 हजार करोड़ पैकेट बाजार से वापस मंगाए जा रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि उसकी ओर से डेरियस खंबाटा पेश होंगे और उसने संक्षिप्त स्थगन का अनुरोध किया। इसके बाद कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 14 जुलाई के लिए स्थगित कर दी।
इस बीच एफएसएसएआई और अन्य प्रतिवादियों ने मैगी उत्पादों पर पाबंदी से राहत की मांग संबंधी नेस्ले इंडिया की याचिका का विरोध करने के लिए हलफनामा दाखिल किया। हाई कोर्ट ने इससे पहले मैगी नूडल्स की नौ किस्मों पर पाबंदी लगाने संबंधी खाद्य नियामक के आदेश पर स्थगन लगाने की नेस्ले इंडिया की मांग अस्वीकार करते हुए कंपनी को राहत देने से इंकार कर दिया था।