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नीट अध्यादेश के खिलाफ याचिका लगाकर सुप्रीमकोर्ट में चुनौती

नीट परीक्षा से राज्यों को छूट दिए जानेवाले अध्यादेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकार चुनौती दी गई है। जिसपर याचिकाकर्ता की तरफ से शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाई जा सकती है।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Thu, 26 May 2016 12:49 AM (IST)Updated: Thu, 26 May 2016 01:07 AM (IST)
नीट अध्यादेश के खिलाफ याचिका लगाकर सुप्रीमकोर्ट में चुनौती

माला दीक्षित, नई दिल्ली। मेडिकल व डेंटल पाठ्यक्रमों में प्रवेश की एकल परीक्षा नीट से राज्यों को छूट देने वाले अध्यादेश को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दे दी गई है। व्यापम घोटाले को कोर्ट तक पहुंचाने वाले डाक्टर आनंद राय और मेडिकल के छात्र संजीव शुक्ला ने बुधवार को सुप्रीमकोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर नीट अध्यादेश को चुनौती दी है। याचिकाकर्ताओं की ओर से गुरुवार को सुप्रीमकोर्ट में मामले पर शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाई जा सकती है।

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आनंद राय की ओर से दाखिल याचिका में सरकार की ओर से लाए गए अध्यादेश को गैरकानूनी बताते हुए निरस्त करने का आग्रह किया गया है। कहा गया है कि केंद्र सरकार की ओर से नीट पर लाया गया अध्यादेश जनहित में नहीं है। सुप्रीमकोर्ट ने मेडिकल प्रवेश में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए नीट को हरी झंडी दी थी उसे फिर बढ़ावा मिलेगा। कहा गया है कि नीट अध्यादेश जल्दबाजी में लाया गया है। इसके पीछे सरकार की मंशा ठीक नहीं है। अध्यादेश सुप्रीमकोर्ट के आदेश को निष्प्रभावी करने के लिए लाया गया है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि नीट का प्रावधान केंद्र सरकार का है और केंद्र ने ही सुप्रीम कोर्ट में नीट की तरफदारी की थी जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था और अब केंद्र ही उसके खिलाफ अध्यादेश लाया है। नीट अध्यादेश के बाद से छात्रों में मेडिकल की प्रवेश परीक्षा को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। अध्यादेश को चुनौती देने वाली यह याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा की देखरेख में तैयार हुई है।

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सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों आदेश जारी किया था कि मेडिकल और डेंटल की सभी सीटों पर देश भर में प्रवेश सिर्फ राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) के जरिए ही किया जाए। कोर्ट ने सीबीएसई और एमसीआइ का परीक्षा कार्यक्रम स्वीकार करते हुए दो चरणों में नीट परीक्षा कराने को मंजूरी दी थी। जिसमें से गत एक मई को संपन्न हुई एआइपीएमटी की परीक्षा को नीट वन परीक्षा माना गया है और दूसरे चरण की नीट टू परीक्षा 24 जुलाई को होनी है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस वर्ष नीट से छूट दिये जाने की राज्य सरकारों की दलील खारिज कर दी थी। जिसके बाद राज्यों ने राहत के लिए केंद्र सरकार का दरवाजा खटखटाया था। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों की बैठक बुला कर विचार विमर्श के बाद नीट परीक्षा से इस वर्ष राज्यों को छूट देने का अध्यादेश गत मंगलवार 24 मई को पारित कर दिया है। इसी अध्यादेश को डाक्टर आनंद राय की याचिका मे चुनौती दी गई है। हालांकि अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर एकतरफा कोई आदेश पारित न हो जाए इससे बचने के लिए गुजरात के एक छात्र ने कैविएट भी सुप्रीमकोर्ट में दाखिल कर दी है।


अध्यादेश को चुनौती देने वाले आनंद राय का कहना है कि भाषा के आधार पर नीट का विरोध निरर्थक है क्योंकि ज्यादातर राज्यों की मेडिकल की साझा प्रवेश परीक्षाएं हिन्दी और अंग्र्रेजी में होती हैैं। वे उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और बिहार की मेडिकल की साझा प्रवेश परीक्षा में अनियमितता और पेपर आउट होने की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहते हैैं कि नीट लागू होने से इस सब पर रोक लग जाती।

उधर इसी वर्ष से नीट लागू करने की मांग करने वाले याचिकाकर्ता गैर सरकारी संगठन 'संकल्प' भी शुक्रवार तक नीट अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रहा है।


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