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कांग्रेस के कटोरे में केवल तीन समितियों की अध्यक्षता

'आज उतनी भी मयस्सर नहीं मयखाने में। जितनी हम छोड़ दिया करते थे पैमाने में।।'आजादी के बाद से करीब 60 साल तक सत्ता सुख भोगने वाली कांग्रेस का आलम इन दिनों कुछ ऐसा ही है। चुनावों में सबसे शर्मनाक प्रदर्शन के बाद लोकसभा में नेता विपक्ष पद के लायक हैसियत तो पार्टी बचा नहीं सकी। अब पार्टी लोकसभा में नेता विपक्ष पद के

By Edited By: Published: Sun, 13 Jul 2014 05:00 AM (IST)Updated: Sun, 13 Jul 2014 07:32 AM (IST)

राजकिशोर, नई दिल्ली। 'आज उतनी भी मयस्सर नहीं मयखाने में। जितनी हम छोड़ दिया करते थे पैमाने में।।'आजादी के बाद से करीब 60 साल तक सत्ता सुख भोगने वाली कांग्रेस का आलम इन दिनों कुछ ऐसा ही है। चुनावों में सबसे शर्मनाक प्रदर्शन के बाद लोकसभा में नेता विपक्ष पद के लायक हैसियत तो पार्टी बचा नहीं सकी। अब पार्टी लोकसभा में नेता विपक्ष पद के लिए तो संघर्ष छेड़े ही है, आलम यह है कि संसदीय समितियों के अध्यक्ष पद तक के लिए कांग्रेस को लॉबिंग करनी पड़ रही है।

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मौजूदा 44 लोकसभा सदस्यों के लिहाज से कांग्रेस के खाते में लोकसभा की तीन संसदीय समितियों के अध्यक्ष पद आते हैं। मगर कांग्रेस लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के साथ-साथ चार संसदीय समितियों के अध्यक्ष पद के लिए सरकार पर दबाव बना रही है। वैसे वित्त मंत्री अरुण जेटली की लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद देने से साफ मनाही के बाद यह अध्याय तो समाप्त ही हो गया है। ऐसे में कांग्रेस संसदीय समितियों के अध्यक्ष पदों में अपना वर्चस्व बनाने के लिए पूरी ताकत लगाए हुए है।

दरअसल, लोकसभा में सांसदों की संख्या के हिसाब से भाजपा के खाते में 19, कांग्रेस के तीन, द्रमुक व टीएमसी को दो-दो और बीजद, माकपा और वाइएसआर को एक-एक संसदीय समिति का अध्यक्ष पद मिलेगा। लोकसभा की संसदीय समितियों में तीन सबसे प्रतिष्ठित वित्ताीय समितियों में एकलोकलेखा समिति [पीएसी] ही कांग्रेस को मिलेगी, बाकी दो अन्य प्रमुख समितियों प्राक्कलन समिति और लोक उपक्रम समिति अन्नाद्रमुक और तृणमूल कांग्रेस को मिलना तय है। इसके अलावा दो विभागीय संसदीय समितयों में कांग्रेस को अध्यक्ष पद मिलेगा। मगर लगातार दस सालों से सत्ता के अर्श पर रहने के बाद फर्श पर आई कांग्रेस मुख्य विपक्ष की भूमिका के लिए छोटी-छोटी चीजों को भी हासिल करने में ताकत लगाए हुए है।

इसीलिए, कांग्रेस ने सरकार से उसके अपने खाते से एक समिति छोड़ उसे चार समितियिां देने को कहा है। इस क्रम में उसका तर्क है कि राज्यसभा में उसकी संख्या अच्छी खासी है। इस पर सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री ने साफ कर दिया कि नियम से अलग जाकर राजग सरकार कांग्रेस के प्रति कोई उदारता नहीं दिखाएगी। राज्यसभा वाले कांग्रेस के तर्क पर उनका कहना था कि उच्च सदन की अलग समितियां हैं और वहां जिस दल की जो क्षमता है, उस हिसाब से आवंटन हुआ है। सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि लोकसभा में नेता विपक्ष के साथ-साथ लोकसभा उपाध्यक्ष के लिए भी अन्नाद्रमुक को पद दिया जाएगा। इस पद के लिए अन्नाद्रमुक के थंबीदुरई का नाम लगभग तय माना जा रहा है।

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