भारत में आतंकवाद से भी बड़ी चुनौती है ये, निपटने के लिए बड़े प्लान की जरूरत
भारत के लिए आतंकवाद से ज्यादा बड़ी चुनौती नक्सलवाद से निपटने की है।
नई दिल्ली[नीलू रंजन]। भारत के लिए आतंकवाद से ज्यादा बड़ी चुनौती नक्सलवाद से निपटने की है। अमेरिकी कांग्रेस की आतंकवाद पर जारी ताजा रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल भारत में कुल आतंकी हमलों में से दो-तिहाई नक्सलियों ने किये थे। आतंकी हमलों के हिसाब से भारत इराक और अफगानिस्तान के बाद दुनिया में तीसरे नंबर पर आता है।
सरकार भले ही आतंकी हिंसा में कमी का दावा करती रही हो, लेकिन अमेरिकी कांग्रेस की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2015 के मुकाबले 2016 में आतंकी हमलों में 16 फीसदी और इनमें मरने वालों की संख्या में 17 फीसदी का इजाफा हुआ है। इस इजाफे के पीछे मुख्य कारण पिछले लश्कर ए तैयबा आतंकी बुरहानी की मौत के बाद आतंकी हमलों में तेजी को माना जा रहा है।
कश्मीर में 2015 के मुकाबले आतंकी हमले की संख्या 2016 में लगभग दोगुनी हो गई। भारत में आधी से अधिक आतंकी हिंसा चार राज्यों में सीमित है। आतंकी हमले के मामले में नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ 18 फीसदी भागीदारी के साथ जम्मू-कश्मीर के 19 फीसदी से एक पायदान ही नीचे है। वहीं कुल आतंकी हमलों का 10 फीसद झारखंड में होता है, जो नक्सल प्रभावित है। पूर्वोत्तर का राज्य मणिपुर आतंकी हमलों में 12 फीसदी हिस्सेदारी के साथ तीसरे नंबर पर आता है।
अमेरिकी कांग्रेस की रिपोर्ट में भारत में आतंकी हिंसा को लेकर कई अहम आंकड़े सामने आए हैं। भारत आतंकी हमलों के मामले में भले ही दुनिया में तीसरे स्थान पर आता हो, लेकिन हमलों में मरने वालों का औसत यहां वैश्विक औसत से काफी कम है। भारत में हर चार आतंकी हमले में एक आदमी मारा जाता है, जबकि दुनिया में यह औसत प्रति आतंकी हमला 2.4 मौतों की है। लेकिन भारत में आतंकी सरकारी प्रतिष्ठानों और सैन्य ठिकानों दूसरे देशों के बनिस्पत ज्यादा निशाना बनाते हैं।
भारत में 12 फीसदी आतंकी हमले इन्हीं ठिकानों पर होते हैं, जबकि दुनिया में यह औसत छह फीसद है। यही नहीं, आतंकी संगठनों के मामले में दुनिया में भारत सबसे ऊपर है। इराक, सीरिया, अफगानिस्तान, पाकिस्तान जैसे देशों में एक या दो संगठन अधिकांश आतंकी हिस्सा के लिए जिम्मेदार हैं, लेकिन भारत में 52 आतंकी संगठन सक्रिय हैं।