तेलंगाना राज्य बना तो नक्सलियों का बढ़ेगा दबदबा
नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी की चौथी बैठक में पारित प्रस्ताव में तेलंगाना के जिक्र ने सुरक्षा एजेंसियों के होश उड़ा दिए हैं। एजेंसियों को डर है कि तेलंगाना राज्य बनने के बाद यहां एक बार फिर नक्सलियों को दबदबा कायम हो सकता है। नक्सली प्रमुख मुप्पाला लक्ष्मणा राव उर्फ गणपति समेत पोलित ब्यूरो और सेंट्रल कमेटी के
नीलू रंजन, नई दिल्ली। नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी की चौथी बैठक में पारित प्रस्ताव में तेलंगाना के जिक्र ने सुरक्षा एजेंसियों के होश उड़ा दिए हैं। एजेंसियों को डर है कि तेलंगाना राज्य बनने के बाद यहां एक बार फिर नक्सलियों को दबदबा कायम हो सकता है। नक्सली प्रमुख मुप्पाला लक्ष्मणा राव उर्फ गणपति समेत पोलित ब्यूरो और सेंट्रल कमेटी के आधे से ज्यादा नेता तेलंगाना से ही आते हैं।
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तेलंगाना के लिए गठित जस्टिस श्रीकृष्ण आयोग की रिपोर्ट में भी नए राज्य में नक्सली प्रभुत्व बढ़ने की आशंका जताई गई थी, लेकिन राजनीतिक कारणों से इसे हटा दिया गया। पिछले महीने हुई नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी की चौथी बैठक में पारित प्रस्ताव की प्रति सुरक्षा एजेंसियों के हाथ लगी है।
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दैनिक जागरण के पास मौजूद इस प्रस्ताव में तेलंगाना के गठन के बाद नक्सलियों के प्रभाव क्षेत्र में विस्तार की उम्मीद जताई गई है। प्रस्ताव में पिछले कुछ साल में सुरक्षाबलों के अभियान के कारण नक्सली आंदोलन को हुए नुकसान का विश्लेषण कर जन आंदोलनों के सहारे प्रभाव क्षेत्र में विस्तार का फैसला किया गया है।
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सुरक्षा एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि तेलंगाना आंदोलन में नक्सली समर्थकों के भाग लेने की खुफिया रिपोर्ट लगातार मिलती रही है। एजेंसियों को संदेह है कि नेता झारखंड और छत्तीसगढ़ की तर्ज पर नए राज्य में भी चुनाव जीतने के लिए नक्सलियों का समर्थन ले सकते हैं। ऐसे में आंध्र प्रदेश छोड़कर छत्तीसगढ़ के बीहड़ में छिपे नक्सली नेता तेलंगाना लौट सकते हैं।
विशेष पुलिस बल ग्रेहाउंड के डर से नक्सलियों को छत्तीसगढ़ और झारखंड में शरण लेनी पड़ी थी। राज्य के बंटवारे पर पुलिस बल का भी विभाजन होगा, इससे ग्रेहाउंड कमजोर हो सकता है। इसके अलावा नक्सल प्रभावित झारखंड, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के गढ़चिरौली से मिलती नए राज्य की सीमाएं नक्सलियों के लिए मुफीद साबित हो सकती हैं। नए राज्य के गठन पर सुझाव देने के लिए बनाए गए जस्टिस श्रीकृष्ण आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इसका जिक्त्र किया था। मंत्रलय ने आयोग की औपचारिक रिपोर्ट में इसे बाहर कर दिया है, लेकिन मंत्रलय के पास रिपोर्ट की मूल प्रति मौजूद है। इसमें नए राज्य के गठन में नक्सली समस्या को प्रमुख बाधा बताया गया था।
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