Move to Jagran APP

नौसेना का पोत समुद्र में समाया, एक नौसैनिक की मौत, चार लापता

नौसेना को फिर एक हादसे का सामना करना पड़ा है। तीन दशकों से भी ज्यादा समय से नौसेना में तैनात पोत टीआरवी (टॉरपीडो रिकवरी वेसल, ए-72) बृहस्पतिवार देर शाम तकरीबन आठ बजे विशाखापत्तनम तट के पास दुर्घटनाग्रस्त होकर डूब गया। हादसे में एक नौसैनिक की मौत हो गई।

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Fri, 07 Nov 2014 12:24 AM (IST)Updated: Fri, 07 Nov 2014 06:35 AM (IST)

विशाखापत्तनम। नौसेना को फिर एक हादसे का सामना करना पड़ा है। तीन दशकों से भी ज्यादा समय से नौसेना में तैनात पोत टीआरवी (टॉरपीडो रिकवरी वेसल, ए-72) बृहस्पतिवार देर शाम तकरीबन आठ बजे विशाखापत्तनम तट के पास दुर्घटनाग्रस्त होकर डूब गया। हादसे में एक नौसैनिक की मौत हो गई।

loksabha election banner

प्राप्त जानकारी के मुताबिक समंदर में अपने नियमित मिशन से लौटते वक्त पोत के एक कक्ष में पानी भर गया। हादसे के वक्त पोत पर नौसेना के कुल 28 जवान सवार थे। हालांकि, पोत में पानी कैसे भरा इसकी वजह स्पष्ट नहीं हो सकी है। राहत और बचाव कर्मियों ने 23 जवानों को बचा लिया। चार जवान लापता बताए जा रहे हैं। रक्षा मंत्री अरुण जेटली को हादसे की जानकारी देते हुए मामले की कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के आदेश दे दिए गए हैं। हादसे के वक्त पोत विशाखापत्तनम तट से करीब 10 नॉटिकल मील दूर था।

23 मीटर लंबे टीआरवी ए-72 का निर्माण गोवा शिपयार्ड लिमिटेड ने वर्ष 1983 में किया था। इसका काम अभ्यास के दौरान पानी में गिरे मलबे को निकालने का था। टीआरवी ए-72 नौसेना में सहायक पोत के तौर पर तैनात था।

पिछले हफ्ते विशाखापत्तनम तट के करीब ही नौसेना के पोत कोरा को एक विदेशी मालवाहक पोत ने टक्कर मार दी थी। हालांकि, उस हादसे में जानमाल का नुकसान नहीं हुआ था।

हादसों से जूझती नौसेना

नई दिल्ली। भारतीय नौसेना पिछले 15 महीनों में एक दर्जन से ज्यादा छोटे-बड़े हादसों की शिकार हो चुकी है। पिछले साल एक के बाद एक कई हादसों के कारण तो तत्कालीन नौसेना प्रमुख डीके जोशी को इस्तीफा तक देना पड़ा था।

पिछले साल 13-14 अगस्त की मध्यरात्रि मुंबई बंदरगाह में खड़ी पनडुब्बी आइएनएस सिंधुरक्षक में धमाकों के बाद आग लग गई थी। इस हादसे में नौसेना को तीन अधिकारियों समेत 18 नौसैनिक खोने पड़े थे। इस साल 26 फरवरी को मुंबई तट के करीब एक और पनडुब्बी आइएनएस सिंधुरत्न में अचानक धुआं भर जाने से दो अधिकारियों की जान चली गई थी। इस हादसे के तत्काल बाद एडमिरल जोशी ने इस्तीफा दे दिया था।

इस हादसे से पहले 30 सितंबर, 2013 को विमानवाहक पोत विराट, 17 जनवरी, 2004 को आइएनएस सिंधुघोष और 22 जनवरी, 2004 को युद्धपोत आइएनएस बेतवा भी दुर्घटना की चपेट में आ गए थे, हालांकि इन हादसों में कोई जनहानि नहीं हुई थी।

पढ़े: नौसेना का एक और युद्धपोत हुआ दुर्घटना का शिकारनौसैनिकों की विधवाओं को रक्षा अधिकारी बनने की अनुमति


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.