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मोदी के गरीब मेले सद्भावना उपवास पर भी भारी

गुजरात में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के सद्भावना उपवास को लेकर खूब चर्चे रहे, लेकिन गरीब कल्याण मेलों की सफलता इस पर भी भारी पड़ रही है। उपवास के जरिये मोदी ने भले अपनी अलग छवि गढ़ने की कोशिश की, लेकिन गरीब कल्याण मेलों के जरिये वे विधानसभा चुनाव से पहले वोटों को पुख्ता करने में जुट गए हैं। कांग्रेस चाहकर भी मोदी के इस मिशन का तोड़ नहीं निकाल पा रही है।

By Edited By: Published: Sun, 22 Apr 2012 01:35 AM (IST)Updated: Sun, 22 Apr 2012 03:44 AM (IST)
मोदी के गरीब मेले सद्भावना उपवास पर भी भारी

अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। गुजरात में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के सद्भावना उपवास को लेकर खूब चर्चे रहे, लेकिन गरीब कल्याण मेलों की सफलता इस पर भी भारी पड़ रही है। उपवास के जरिये मोदी ने भले अपनी अलग छवि गढ़ने की कोशिश की, लेकिन गरीब कल्याण मेलों के जरिये वे विधानसभा चुनाव से पहले वोटों को पुख्ता करने में जुट गए हैं। कांग्रेस चाहकर भी मोदी के इस मिशन का तोड़ नहीं निकाल पा रही है।

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गुजरात और राज्य सरकार की उपलब्धियों को लोगों तक पहुंचाने के लिए मोदी सूचना तकनीक का बेहतर इस्तेमाल करते हैं। अमेरिका की ओर से वीजा से इन्कार के बाद मोदी हर साल प्रवासी गुजरातियों को वीडियो कांफ्रेंस के जरिये संबोधित करते हैं। इसके अलावा सप्ताह में दो दिन होने वाले उनके स्वागत ऑनलाइन कार्यक्रम ने भी अच्छी-खासी सफलता हासिल की है। मोदी ने शनिवार को राज्य के 27 जिलों में आयोजित गरीब मेलों को गांधीनगर में बैठकर संबोधित किया।

मोदी ने दो साल पूर्व निकाय चुनाव से ठीक पहले 650 गरीब कल्याण मेलों का आयोजन कर प्रदेश के 58 लाख से अधिक लोगों को 8,120 करोड़ रुपये की सीधी मदद और जीवनोपयोगी उपकरण वितरित किए थे। गरीब मेलों का ही कमाल था कि भाजपा स्थानीय निकाय चुनाव में नब्बे फीसदी सीटों पर कब्जा करने में कामयाब रही। गरीब मेले अब गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए उनकी राजनीति को तड़का लगाएंगे।

प्रधानमंत्री ने दिया गुजरात को अवार्ड

गुजरात के पाटण जिले में चल रहे वाटरशेड मैनेटमेंट कार्यक्रम को लोक प्रशासन अवार्ड मिला है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को सिविल सेवा दिवस के मौके पर नई दिल्ली में गुजरात स्टेट वाटरशेड मैनेजमेंट एजेंसी के सीईओ रामकुमार को 2010-11 के लिए यह अवार्ड प्रदान किया। रामकुमार ने बताया कि पाटण में अब तक 21.34 लाख हेक्टेयर भूमि को इस कार्यक्रम में शामिल किया जा चुका है।

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