आम हों या खास वो सबके लिए बना रहस्य, जानें-क्या है अनसुलझी कहानी
खगोलविद मानते हैं कि ब्रह्मांड के निर्माण में डार्क मैटर की अहम भूमिका है। लेकिन डार्क मैटर का रहस्य अभी तक सुलझ नहीं पाया है।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । अतंरिक्ष का रहस्य हमेशा रोमांच पैदा करता रहा है। तारों, ग्रहों और नक्षत्रों के बारे में अनवरत शोध जारी हैं। हाल के दिनों तक ब्लैक होल के बारे में चर्चा होती थी। लेकिन अब चर्चा के केंद्र में डार्क मैटर हैं। ऐसे में सवाल ये है कि आखिर शोधकर्ताओं और खगोलविदों को काली चीज इतनी पसंद क्यों आने लगी हैं। ब्लैक होल को लेकर चर्चे आज भी कम नहीं हैं। लेकिन डार्क मैटर को लेकर कुछ नई खोज हुई है।
क्या है डार्क मैटर ?
डार्क मैटर यानी काला पदार्थ अदृश्य है। वैज्ञानिक वर्षों से डार्क मैटर को समझने की कोशिश में जुटे हुए हैं। बताया जाता है कि तीन चौथाई ब्रह्मांड डार्क मैटर से बना है। लेकिन देखने पर वह कहीं रत्ती भर भी दिखाई नहीं पड़ता है।
ब्रह्मांड की अनंत आकाशगंगाओं के नब्बे फीसदी से ज्यादा पदार्थ अनजाने हैं।डार्क मैटर यानी ऐसे तत्व न तो प्रकाश छोड़ते हैं, न सोखते हैं और ना ही परावर्तित करते हैं। खगोलशास्त्री भी ब्रह्मांड का सिर्फ छठा हिस्सा ही देख पाते हैं। हाइडेलबर्ग में माक्स प्लांक इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता पिछले दस वर्ष से जमा डाटा पर काम कर रहे हैं। शोधकर्ता के मुताबिक र्क मैटर क्या है, यह सभी लोग समझना चाहते हैं लेकिन कोई भी जानता नहीं है। और इस सवाल का कोई जवाब नहीं है।
ब्लैक होल बनाम डार्क मैटर
ब्लैक होल एक मरा हुआ तारा है लेकिन डार्क मैटर क्या है ? इसके बारे मे ज्यादा जानकारी किसी के पास नही है बस एक ही सटीक जानकारी है कि इसमे वजन होता है और ये बहुत ज्यादा मात्रा मे है। डार्क मैटर में कितना वजन होता है कि इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल है। लेकिन कहा जाता है कि पूरे ब्रह्मांड मे जितने भी जिन्दा या मुर्दे तारे, ग्रह, उपग्रह, गैस के बादल और धूल को मिलकर जितना वजन है, उसके दोगुने से भी ज्यादा वजन का पदार्थ सृष्टि मे मौजूद है। लेकिन इन सामान्य पदार्थों के पांच गुने से भी ज्यादा वन डार्क मैटर का होता है।
डार्क मैटर के बारे में कब मिलेगी सटीक जानकारी
डार्क मैटर के रहस्य को सुलझाने के लिए कुछ अमेरीकी वैज्ञानिकों ने कैनन कैमरा के 400 MM वाले आठ लेंस को जोड़ कर टेलिस्कोप ड्रैगन फ्लाई से एक अजीब खोज कर डाली। उन्होंने एक ऐसी गलेक्सी का पता लगाया जिसमे तारे बहुत ही कम थे बाद में ये जानकारी सामने आई कि हमारी आकाश गंगा जितनी ही बड़ी इस गैलेक्सी मे दृश्य पदार्थ इसके कुल वजन का सिर्फ 0.01 प्रतिशत हिस्सा बना रहा है। बाकी 99.99 प्रतिशत हिस्सा अदृश्य पदार्थ यानि डार्क मैटर का है। ऐसा कह सकतें हैं कि इस खोज से हम अज्ञात के एक बहुत बड़े दायरे मे प्रवेश कर रहे हैं।
जब नहीं थी आकाशगंगाएं
13 अरब साल पहले ब्रह्मांड में आकाशगंगाएं नहीं थीं। वैज्ञानिकों को इस तथ्य का पता भी हाल ही में चला है। यानी आज जो दिखता है वह पहले नहीं दिखता था। जब ब्रह्मांड की रचना हुई तो उस समय अचानक इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन की बाढ़ आई। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि इन इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन में कंपन से ही आकाशगंगाओं की रचना हुई। लेकिन यह पता नहीं लग पाया है कि कंपन आखिर क्यों हुआ।
जानकार की राय
डीडीयू गोरखपुर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने जागरण.कॉम से खास बातचीत में बताया कि डार्क मैटर के रहस्य को सुलझाने की दिशा में शोध जारी है। ये बात तो तय है कि आकाशीय पिंडों में ब्लैक होल के बाद खगोलविदों के लिए आकर्षण का केंद्र डार्क मैटर होते हैं। उन्होंने बताया कि सर्न प्रयोगशाला में गॉड पार्टिकल पर जारी शोध के बाद डार्क मैटर के रहस्य को सुलझाया जा सकेगा।
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