दक्षिण-पश्चिम मानसून की गति धीमी पड़ी, बारिश के लिए और इंतजार
केरल की ओर बढ़ रहे दक्षिण-पश्चिम मानसून की गति धीमी पड़ गई है। मौसम विभाग ने मानसून के समय से पहले आने की जो घोषणा की थी, वह अब धीमी रफ्तार की वजह से देरी से पहुंचेगा। कमजोर मानसून की वजह से देश के अन्न उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़
नई दिल्ली। केरल की ओर बढ़ रहे दक्षिण-पश्चिम मानसून की गति धीमी पड़ गई है। मौसम विभाग ने मानसून के समय से पहले आने की जो घोषणा की थी, वह अब धीमी रफ्तार की वजह से देरी से पहुंचेगा। कमजोर मानसून की वजह से देश के अन्न उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
केरल में मानसून आने का समय सामान्य तौर पर एक जून है। इसी को सरकार भी देश में मानसून की बारिश शुरू होने की तारीख मानती है। इस साल भारतीय मौसम विभाग (आइएमडी) ने केरल में 30 मई को ही मानसून पहुंच जाने की घोषणा की थी।
स्काईमेट का दावा, एक हफ्ते से ठहरा हुआ मानसून
मौसम की भविष्यवाणी करने वाली एक निजी एजेंसी स्काईमेट के अनुसार, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में मानसून 16 मई को ही पहुंच गया था। यह तिथि सामान्य तय तिथि से तीन दिन पहले की है। उसके बाद से इसके बढऩे की रफ्तार धीमी पड़ गई है। 21 मई तक दक्षिण पश्चिम मानसून बंगाल की खाड़ी होते हुए श्रीलंका के दक्षिणी हिस्से को छूते हुए बढ़ रहा था, लेकिन यहां इसके बाद से मानसून एक हफ्ते के लिए रुक गया है। स्काईमेट ने कहा है कि दक्षिण पश्चिम मानसून की अरब सागर शाखा बहुत धीमी रफ्तार से बढ़ रही है और इसे भारत के सबसे दक्षिणी सिरे केरल तक पहुंचना अभी बाकी है। समुद्र में बादल छाए थे और कुछ दिन पहले तक बढ़ते नजर आ रहे थे और लग रहा था कि केरल में समय से ही बारिश होगी। हालांकि इसकी गति धीमी पड़ गई और बादल थोड़े बिखरे-बिखरे नजर आने लगे।
आइएमडी ने भी मानी गति धीमी पडऩे की बात
आइएमडी के उप निदेशक कृष्णानंद होसालिकर ने इसे मानसून में देरी कहने से इंकार किया है लेकिन कहा है कि इसकी गति धीमी है। भविष्यवाणी के अनुसार, चार दिनों का अंतर रहता है और इसके आने की तारीख 27 मई से तीन जून के बीच है।
अभी मानसून बंगाल की खाड़ी में
अभी मानसून अरब सागर में प्रवेश कर गया है और श्रीलंका को पार कर बंगाल की खाड़ी में आ गया है। इसके बढऩे पर बारीकी से नजर रखी जा रही हैं। इस दौरान अक्सर देखा जाता है कि इसकी गति बदलते रहती है।
केरल और कर्नाटक में जारी है मानसून पूर्व की बारिश
केरल और कर्नाटक में मानसून से पहले की बारिश हो रही है। पिछले 24 घंटे में कनचर््टक में अच्छी बारिश हुई है। केरल में भी 2च् मई को अच्छी बारिश हुई थी। पंपाकुडा व एरनाकुलम में 55 मिलीमीटर बारिश रिकार्ड की गई। कोट्टायम जिले में 37 मिमी और त्रिचूर में 30 मिलीलीटर बारिश हुई। 29 मई को केरल में बहुत कम बारिश हुई।
धान व अन्य खरीफ फसलों के लिए मानसून अत्यंत महत्वपूर्ण
धान सहित अन्य खरीफ फसलों के लिए दक्षिण-पश्चिम मानसून बहुत महत्वपूर्ण है। मानसून की बारिश में कमी का उत्पादन पर सीधा असर पड़ सकता है। देश के घरेलू सकल उत्पाद (जीडीपी) में कृषि क्षेत्र का योगदान मात्र 15 फीसद है लेकिन कृषि क्षेत्र पर देश की करीब 60 फीसद आबादी आश्रित है। देश की केवल 40 फीसद कृषि क्षेत्र में ही सिंचाई की व्यवस्था है।
बारिश कम होने से पिछले साल घटा खाद्यान्न का उत्पादन
पिछले साल 12 फीसद कम बारिश हुई थी, जिससे धान, कपास और तेलहन के उत्पादन पर असर पड़ा था। सरकार के एक आकलन के अनुसार ,वर्ष 2014-15 में अन्न की पैदावार पिछले साल की 26 करोड़ 50 लाख टन से घटकर 25 करोड़ 11 लाख टन रह गई थी।