Move to Jagran APP

निजी बैंक खातों में जमा कराया गया कृषि विकास का धन : कैग

राज्यों के क्लाइमेटिक जोन के हिसाब से फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए शुरू की गई राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में कैग को ढेर सारी अनियिमतिताएं मिली हैं। कई राज्यों में आरकेवीवाई का धन दूसरी योजनाओं में खर्च किया गया।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Tue, 05 May 2015 09:06 PM (IST)Updated: Tue, 05 May 2015 09:40 PM (IST)
निजी बैंक खातों में जमा कराया गया कृषि विकास का धन : कैग

नई दिल्ली । राज्यों के क्लाइमेटिक जोन के हिसाब से फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए शुरू की गई राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में कैग को ढेर सारी अनियिमतिताएं मिली हैं। कई राज्यों में आरकेवीवाई का धन दूसरी योजनाओं में खर्च किया गया। लगभग एक दर्जन ऐसे राज्य भी हैं, जहां योजना की रकम अफसरों के निजी बचत व फिक्स्ड बैंक खातों तक में जमा कराई गई।

loksabha election banner

आरकेवीवाई पर नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में इस तरह की अनियमितताओं का खुलासा किया गया है। यह रिपोर्ट संसद में मंगलवार को पेश की गई। योजना को लेकर राज्यों में हुई मनमानी का ब्योरा कैग की रिपोर्ट में दिया गया है। कैग रिपोर्ट में योजना के बारे में वर्ष 2007 से 2013 तक की जांच की गई है। कृषि की विकास दर को चार फीसद तक पहुंचाने के लिए यह योजना 11वीं पंचवर्षीय योजना में शुरु की गई थी।

कैग ने केंद्र सरकार की ओर से योजना में संभावित गड़बड़ी को रोकने के कृषि मंत्रालय ने वैसे तो योजना की निगरानी व मूल्यांकन के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान और 25 अन्य सलाहकार नियुक्त किया है। रिपोर्ट में योजना के उद्देश्य पर सवाल खड़ा किया गया है। योजना में धन खर्च करने और कृषि विकास की दर में कोई संबंध नहीं मिला है।

पांच सालों में 28 राज्यों व सात केंद्र शासित राज्यों को 30 हजार करोड़ रुपये से अधिक जारी किए गए। इनमें से 26 राज्यों ने अभी तक ढाई हजार करोड़ से अधिक की धनराशि का कोई ब्योरा नहीं दिया है। बिना अनुमोदन के भी धन खर्च करने के मामले पाए गए हैं।

कैग रिपोर्ट के मुताबिक 11 राज्यों में 759 करोड़ रुपये की राशि बैंकों के निजी बचत व फिक्स्ड खातों तक में जमा कराने के मामले पकड़े गए हैं। हरियाणा, महाराष्ट्र, मेघालय और पश्चिम बंगाल में इस योजना का धन दूसरी योजनाओं में धड़ल्ले से खर्च किया गया है। योजना में निधि आवंटन में विभिन्न स्तरों पर गड़बडि़यां की गई हैं। कैग ने केंद्र व राज्य स्तर पर योजना की निगरानी व मूल्यांकन प्रणाली को मजबूत बनाने की सिफारिश की है।

पढ़ें : मेघालय सरकार ने 598 करोड़ के टैक्स वसूलने में की कोताहीः कैग

सीएजी की अनदेखी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.