कोर्ट ने पूछा, 'बादल परिवार की कंपनी ऑर्बिट का क्यों नहीं हुआ परमिट रद'
मोगा आर्बिट बस कांड पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए पंजाब के एडवोकेट जनरल (एजी) अशोक अग्रवाल से पूछा कि ऑर्बिट एविएशन प्राइवेट लिमिटेड का परमिट रद क्यों नहीं किया गया। ऐसी बस कंपनी जिसके कर्मचारी आम लोगों के साथ दुर्व्यवहार और हैवानियत के तरीके
चंडीगढ़, जागरण संवाददाता। मोगा आर्बिट बस कांड पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए पंजाब के एडवोकेट जनरल (एजी) अशोक अग्रवाल से पूछा कि ऑर्बिट एविएशन प्राइवेट लिमिटेड का परमिट रद क्यों नहीं किया गया। ऐसी बस कंपनी जिसके कर्मचारी आम लोगों के साथ दुर्व्यवहार और हैवानियत के तरीके से पेश आते हैं उन पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
मोहाली के एडवोकेट जसदीप सिंह बैंस ने भी इस मामले की सीबीआइ जांच की मांग के लिए हाई कोर्ट में अर्जी दायर की है। इस अर्जी पर हाई कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय सहित सीबीआइ, पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल को 27 मई के लिए नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया है। बैंस ने अपनी अर्जी में आरोप लगाया है कि सुखबीर बादल और हरसिमरत बादल ऑर्बिट के सह मालिक हैं। जिस तरह दिल्ली के निर्भया मामले में आरोपी बस ऑपरेटर पर मामला दर्ज किया गया था ठीक उसी तर्ज पर इनके खिलाफ भी मामला दर्ज किया जाना चाहिए। बैंस का आरोप है कि ऑर्बिट बस मालिकों के प्रभाव के चलते इस मामले में पुलिस ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है। इसके साथ ही उन्होंने सभी निजी और सरकारी बसों में सुरक्षा कर्मियों की तैनाती सहित इन बसों में सीसीटीवी कैमरे और जीपीएस सिस्टम लगाने की मांग की है।
जस्टिस हेमंत गुप्ता एवं जस्टिस लीजा गिल पर आधारित खंडपीठ ने ऑर्बिट एविएशन के पिछले पांच वर्षों की बैलेंस शीट, उन सभी बस ऑपरेटर्स जिनके पास राज्य में 10 या इससे अधिक परमिट हैं उनके के मालिकों और हिस्सेदारों का भी पूरा ब्यौरा अगली सुनवाई पर हाई कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं। बेंच ने इसके साथ ही राज्य के सभी निजी बस ऑपरेटरों जिनके खिलाफ पिछले एक वर्ष में अपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं उनकी भी जानकारी मांगी है। बेंच ने सभी टूरिस्ट बसों की जानकारी भी देने को कहा है। सुनवाई के दौरान ऑर्बिट कंपनी की तरफ से उनके वकील पेश हुए और जवाब देने के लिए समय की मांग की।
क्या है मामला
गत दिनों मोगा में आर्बिट कंपनी की बस में मां-बेटी से छेड़छाड़ के बाद उन्हें चल बस से फेंक दिया गया था। इसमें बच्ची की मौत हो गई थी। बस कंपनी बादल से जुड़ी होने के कारण राज्य का राजनीतिक माहौल गरमा गया था। मामले का एक पत्र के आधार पर हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था।
नाराज बादल ने कहा, 'पत्रकार दुर्घटना कर दे... तो क्या संपादक की गलती है?'