खेल के मैदान पर भी उठने लगी है गाजा के समर्थन में आवाज
गाजा को लेकर अब सिर्फ राजनीतिक गलियारों में ही नहीं बल्कि खेल के मैदान के अंदर भी चर्चा तेज हो गई है। कुछ खिलाड़ियों ने अपने-अपने अंदाज में गाजा के समर्थन में आवाज उठानी शुरू कर दी है। चाहे वो कॉमनवेल्थ गेम्स हो या फिर क्रिकेट का मैदान, कुछ खिलाड़ी खुलकर गाजा के समर्थन में सामने आए हैं। - क्रिकेट के मैदान पर..:
नई दिल्ली। गाजा को लेकर अब सिर्फ राजनीतिक गलियारों में ही नहीं बल्कि खेल के मैदान के अंदर भी चर्चा तेज हो गई है। कुछ खिलाड़ियों ने अपने-अपने अंदाज में गाजा के समर्थन में आवाज उठानी शुरू कर दी है। चाहे वो कॉमनवेल्थ गेम्स हो या फिर क्रिकेट का मैदान, कुछ खिलाड़ी खुलकर गाजा के समर्थन में सामने आए हैं।
- क्रिकेट के मैदान पर..:
इंग्लैंड क्रिकेट टीम के पाकिस्तान मूल के क्रिकेटर मोइन अली ने भारत के खिलाफ जारी साउथैम्पटन टेस्ट मैच के दौरान अपनी कलाई पर बैंड पहना जिस पर लिखा था 'सेव गाजा, सेव फिलिस्तीन' (गाजा बचाओ, फिलिस्तीन बचाओ)। उनके इस तरह के समर्थन के बाद तुरंत विवाद भी शुरू हो गया। खबरों के मुताबिक आइसीसी के नियम मैदान पर ऐसे किसी भी राजनीतिक, धार्मिक या फिर रंगभेदी संदेशों का इस्तेमाल करने की छूट नहीं देता। इसीबी (इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड) ने तो मोइन को क्लीन चिट दे दी है लेकिन विवाद को बढ़ते देख आइसीसी अब इस मामले की जरूर जांच करेगी।
- कॉमनवेल्थ गेम्स में भी हुआ कुछ ऐसा..:
उधर स्कॉटलैंड के ग्लास्गो में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान भी ऐसा ही एक मामला देखने को मिला। कॉमनवेल्थ गेम्स में अपनी प्रतियोगिता के दौरान मलेशियाई साइकिलिस्ट अजीजुलहासनी अवांग ने कुछ इस अंदाज में गाजा का समर्थन किया कि इसको लेकर विवाद पनपने में जरा भी देर नहीं लगी। इस 26 वर्षीय साइकिलिस्ट ने प्रतियोगिता के दौरान अपने दस्तानों पर 'सेव गाजा' (गाजा को बचाओ) जैसे शब्द लिखे हुए थे और प्रतियोगिता के बाद उन्होंने इसको कैमरे के सामने स्पष्ट तौर पर दिखाया भी। गाजा के लिए किए गए अपने इस समर्थन को लेकर अवांग पर कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन नियमों के हिसाब से खेलों के दौरान राजनीतिक विरोध जताने के लिए प्रतिबंध भी लगा सकता था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आयोजकों ने फिलहाल उनको चेतावनी देकर छोड़ दिया है।