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एक साल में निपटाए जाएं दागी सांसदों और विधायकों के मुकदमे

मोदी सरकार सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई एक साल के भीतर पूरा करने और संभावित सजा का आधा समय जेल में गुजारने वाले विचामोदी सरकार सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई एक साल के भीतर पूरा करने और संभावित सजा का आधा समय जेल में गुजारने वाले विचाराधीन कैदियों की रिहाई की कोशिश में जुट गई है। इस सिलसिले में गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में सभी राज्यों को पत्र लिखने का फैसला किया गया। आधी सजा काट चुके विचारा

By Edited By: Published: Mon, 01 Sep 2014 10:34 PM (IST)Updated: Tue, 02 Sep 2014 07:30 AM (IST)
एक साल में निपटाए जाएं दागी सांसदों और विधायकों के मुकदमे

नई दिल्ली। मोदी सरकार सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई एक साल के भीतर पूरा करने और संभावित सजा का आधा समय जेल में गुजारने वाले विचाराधीन कैदियों की रिहाई की कोशिश में जुट गई है। इस सिलसिले में गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में सभी राज्यों को पत्र लिखने का फैसला किया गया। आधी सजा काट चुके विचाराधीन कैदियों की जमानत का प्रावधान कानून में है और सांसदों व विधायकों के खिलाफ केस की सुनवाई एक साल में पूरी करने का आदेश पहले ही सुप्रीम कोर्ट दे चुका है।

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बैठक के बाद केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मोदी सरकार राजनीति को स्वच्छ करने के अपने वादे पर कायम है और इसी क्रम में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस साल मार्च में दिए गए आदेश को लागू करने की कोशिश शुरू की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कर दिया था कि दो साल से अधिक सजा वाले मामलों में सांसदों एवं विधायकों के खिलाफ केस की सुनवाई एक साल में पूरी होगी और ऐसा नहीं होने पर जिला जज को हाईकोर्ट को रिपोर्ट भेजनी होगी। प्रसाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को लागू कराना जरूरी है। इसके लिए कानून मंत्री के रूप में वे सभी राज्यों के कानून मंत्री को और गृहमंत्री सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखेंगे।

इसके साथ ही आधी सजा काट चुके विचाराधीन कैदियों की रिहाई के लिए भी गृहमंत्री और गृह सचिव सभी मुख्यमंत्रियों और राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखने जा रहे हैं। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि फिलहाल 60 फीसद से अधिक विचाराधीन कैदी अपनी सजा का आधा से अधिक समय जेल में गुजार चुके हैं। अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 436ए में इसके स्पष्ट प्रावधान हैं लेकिन इसका पालन नहीं किया जा रहा है। इसे लागू करने से जेलों में कैदियों की संख्या में काफी कम हो जाएगी।

इसके साथ रविशंकर प्रसाद ने राज्य सरकारों को सभी जेलों में एनआइसी के सॉफ्टवेयर को शामिल करने का सुझाव भी दिया। इस सॉफ्टवेयर की मदद से बटन दबाते ही जेल में बंद सभी विचाराधीन कैदियों के बारे में सारी जानकारी कंप्यूटर स्क्रीन पर आ जाती है। उन्होंने कहा कि दिल्ली और पंजाब समेत कुछ राज्यों में इस साफ्टवेयर को लगाया गया है। बैठक में राजनाथ सिंह और रविशंकर प्रसाद के साथ-साथ एटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी और कानून व गृह सचिव भी मौजूद थे।

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