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मोदी के मंत्रियों की बढ़ी ताकत, 500 करोड़ तक की परियोजनाओं को दे सकेंगे मंजूरी

केंद्रीय मंत्री अब 500 करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं को मंजूरी दे सकेंगे। अब तक उन्हें सिर्फ 150 करोड़ तक की परियोजनाओं को मंजूरी देने की शक्ति प्राप्त थी।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 28 Jun 2016 08:35 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jun 2016 09:29 PM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिपरिषद के विस्तार और फेरबदल को लेकर लुटियन जोन में चल रही कयासबाजी के बीच मोदी सरकार ने मंत्रियों की ताकत और बढ़ा दी है। केंद्रीय मंत्री अब 500 करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं को मंजूरी दे सकेंगे। अब तक उन्हें सिर्फ 150 करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं और कार्यक्रमों को मंजूरी देने की शक्ति प्राप्त थी।

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वित्त मंत्रालय के अनुसार गैर-योजनागत परियोजनाओं को मंजूरी देने के संबंध में प्रशासनिक मंत्रालयों के प्रभारी मंत्री के लिए सीमा बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये तक दी है। अब केंद्रीय मंत्री 500 करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं को मंजूरी दे सकेंगे। अब तक यह सीमा 150 करोड़ रुपये थी। मंत्रालय का कहना है कि 500 करोड़ रुपये से 1,000 करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं को मंजूरी देने की शक्ति वित्त मंत्री के पास होगी। वहीं 1000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं को मंजूरी के लिए कैबिनेट या कैबिनेट की आर्थिक मामलों संबंधी समिति के पास जाना पड़ेगा।

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सरकार ने यह फैसला विभिन्न स्तरों पर परियोजनाओं को मंजूरी देने के संबंध में प्रक्रिया में बदलाव कर लिया है। मंत्रालय का कहना है कि केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों और विभागों के सभी प्रकार के गैर-योजनागत व्यय के संबंध में मंजूरी देने का काम करने वाली समिति अब 300 करोड़ रुपये तक के व्यय के प्रस्तावों को मंजूरी दे सकेगी। अब तक इस समिति को 75 करोड़ रुपये तक के प्रस्ताव को मंजूरी देने का अधिकार था। वहीं संबंधित मंत्रालय की स्थाई वित्त समिति अब 300 करोड़ रुपये तक की गैर-योजनागत परियोजनाओं के प्रस्तावों पर विचार करेगी। सरकार ने परियोजनाओं की बढ़ी लागत के संबंध में भी सचिवों और फाइनेंशियल एडवाइजर्स के अधिकार बढ़ाए हैं।

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मंत्री चाहें तो विदेश में सात साल तैनात रहेंगे नौकरशाह

कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने नियमों में ढील देते हुए मंत्रियों को यह अधिकार भी दिया है कि वे अपने मातहत आइएएस और आइपीएस अधिकारियों को विदेश में सात साल की तैनाती की अनुमति दे सकेंगे। फिलहाल उन्हें सिर्फ पांच साल तक विदेशी पोस्टिंग देने का अधिकार है। हालांकि इस संबंध में कुछ शर्तो का पालन भी संबंधित अधिकारियों को करना पड़ेगा।यानी कोई भी मंत्रालय, किसी भी अधिकारी के प्रतिनियुक्ति के कार्यकाल को सात साल तक बढ़ा सकता है। नए नियम अखिल भारतीय सेवाओं के आइएएस, आइपीएस व आइएफओएस अधिकारियों पर ही लागू होंगे। सभी राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के मंत्रालयों को भेजे गए निर्देश में डीओपीटी ने कहा है कि प्रतिनियुक्ति अवधि बढ़ाने का कोई भी मामला उसके पास नहीं भेजा जाएगा।

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