मोदी जी! हमें अमन चाहिए हथियार नहीं
जावेद अहमद रविवार को जितना खुश था, उतना ही मायूस। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने जिस तरह से जिक्र किया है, उससे मुझे पूरी उम्मीद है कि विकलांगों के लिए हमारे राज्य में ही नहीं पूरे देश में सुविधाओं को बढ़ाया जाएगा। उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा, लेकिन
जागरण ब्यूरो। श्रीनगर। जावेद अहमद रविवार को जितना खुश था, उतना ही मायूस। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने जिस तरह से जिक्र किया है, उससे मुझे पूरी उम्मीद है कि विकलांगों के लिए हमारे राज्य में ही नहीं पूरे देश में सुविधाओं को बढ़ाया जाएगा। उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा, लेकिन अफसोस है कि उन्होंने हथियारों को समाप्त करने की बात नहीं की, उन्हें दुनिया में यह प्रयास करना चाहिए, क्योंकि यह गोलियां और बम ही बहुत से लोगों को मेरी तरह विकलांग बना देते हैं।
मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद के पैतृक कस्बे बिजबेहाड़ा की पांपोश कॉलोनी में रहने वाला जावेद अहमद टाक आज बेशक व्हीलचेयर पर हैं। उसकी एक किडनी नहीं है, पेट की एक आंत निकाल दी गई है। शरीर का निचला हिस्सा और रीढ़ की हड्डी काम नहीं करती। लेकिन वह हमेशा ऐसा नहीं था। आतंकियों ने करीब पांच से दस मीटर की दूरी से उसे गोली मारी थी तब से वह व्हीलचेयर पर आ गया है।
पहली नजर में उसे देखकर कोई भी कहेगा यह तो जिंदगी की जंग हार चुका इंसान है। लेकिन जब कोई उसकी उपलब्धियों को देखता है या सुनता है तो खुद को उसके समक्ष अक्षम महसूस करता है। बिजबेहाड़ा में विकलांग बच्चों के लिए जेबा आपा नामक एक स्कूल चला रहे जावेद अहमद टाक ने कहा कि आज यहां 55 बच्चे हैं।
मुआवजे की राशि से शुरू किया स्कूल
जावेद ने कहा कि वो वकील बनना चाहते थे लेकिन अस्पताल से लौटने के बाद उन्हें उठने में दो साल लग गए। हमले का पीड़ित होने की वजह से 75 हजार रूपये का मुआवजा मिला और उन्हीं पैसों से उन्होंने अपना स्कूल शुरू किया।
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