किसानों और पूर्वोत्तर से संवाद का 'चैनल'
जनता से संवाद की कीमत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बेहतर शायद ही कोई समझता हो। इसी सीधे संवाद की अपनी अद्भुत क्षमता के बूते सत्ता के शीर्ष तक पहुंचे मोदी सरकार के पहले बजट में हर वर्ग के साथ संवाद पर ही जोर दिया गया है। शहरी तबकों तक अपनी पैठ बना चुके मोदी का निशाना अब किसान और पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों के
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जनता से संवाद की कीमत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बेहतर शायद ही कोई समझता हो। इसी सीधे संवाद की अपनी अद्भुत क्षमता के बूते सत्ता के शीर्ष तक पहुंचे मोदी सरकार के पहले बजट में हर वर्ग के साथ संवाद पर ही जोर दिया गया है। शहरी तबकों तक अपनी पैठ बना चुके मोदी का निशाना अब किसान और पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों के साथ-साथ छोटे-मझोले शहरों का तबका है। इसीलिए, वित्त मंत्री ने अपने बजट में किसान टीवी के साथ-साथ पूर्वोत्तर के लिए अलग चैनल और सामुदायिक रेडियो की तंत्र मजबूत करने पर जोर दिया है।
वित्त मंत्री ने एलान किया कि कृषि और उससे जुड़े विभिन्न क्षेत्रों के लिए समर्पित -किसान टीवी-चैनल शुरू किया जाएगा। इसके जरिये किसानों को नई कृषि तकनीक, जल संरक्षण, जैविक खेती आदि से संबंधित सही और सटीक जानकारियां मिलेंगी। वित्त मंत्री ने इस चैनल के लिए बजट में 2014-15 में 100 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्ताव किया है। इसी तरह पूर्वोत्तर की समृद्ध सांस्कृतिक और भाषाई अस्मिता को सशक्त माध्यम मुहैया कराने की दृष्टि से चौबीस घंटे चैनल -अरुण प्रभा- शुरू किया जाएगा। देश में सामुदायिक रेडियो केंद्रों के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब तक कुल 400 मंजूरियां दी गई हैं, लेकिन अब यह योजना लगभग 600 नए और मौजूदा सामुदायिक रेडियो केंद्रों के लिए धन उपलब्ध कराएगी। बजट में पुणे स्थित फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान और कोलकाता स्थित सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्था को राष्ट्रीय महत्व की संस्थाओं का दर्जा देने का भी प्रस्ताव है।
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