मोदी सरकार ने सरस्वती नदी की खोज के लिए तेजी दिखाई
करीब पांच साल पहले तक सरस्वती सबसे बड़ी नदी हुआ करती थी। सतलुज और यमुना इसकी सहायक नदियां थी। सरस्वती नदी का इतिहास करीब पांच हजार साल पुराना है। यमुना पहले सरस्वती के सहारे ही अपनी यात्रा पूरी करती थी। सरस्वती का प्रवाह पूरब से पश्चिम की तरफ था
चंडीगढ़ । करीब पांच साल पहले तक सरस्वती सबसे बड़ी नदी हुआ करती थी। सतलुज और यमुना इसकी सहायक नदियां थी। सरस्वती नदी का इतिहास करीब पांच हजार साल पुराना है। यमुना पहले सरस्वती के सहारे ही अपनी यात्रा पूरी करती थी। सरस्वती का प्रवाह पूरब से पश्चिम की तरफ था, लेकिन हजारों साल पहले आए भीषण भूकंप के चलते यमुना और सतलुज नदियां सरस्वती से अलग हो गई। दोनों नदियों ने अपने मार्ग बदल लिए और सरस्वती धीरे-धीरे भूगर्भ में चली गई। सोम नदी में सरस्वती का पानी गिरने की सूचनाएं हैैं और आगे जाकर सोम नदी यमुना में मिल जाती है।
यह आश्चर्यजनक खुलासा सरस्वती नदी शोध संस्थान के संचालक दर्शन लाल जैन ने किया है। दस साल की उम्र से आरएसएस के साथ जुड़े दर्शन लाल जैन ने 1999 में इस संस्थान का पंजीकरण कराकर सरस्वती की खोज का बीड़ा उठाया। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के चेयरमैन भारत भूषण भारती संस्थान के उप प्रधान के नाते इस कार्य में मदद कर रहे हैं। सरस्वती नदी के पुनर्जन्म के लिए प्रयास नए नहीं हैं। 2006 में भी इस तरह के प्रयास हुए थे। फिर 2008 में गंभीरता दिखाई गई, लेकिन तेजी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकारें बनने के बाद आई।
दर्शन लाल जैन की मानें तो 2006 में तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) ने राजस्थान के जैसलमेर में खुदाई कर स्वच्छ पानी निकाला था। पता चला कि पानी सरस्वती का है। अप्रैल, 2008 में फिर बैठक हुई, जिसमें ओएनजीसी और इसरो के अलावा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के जियोलॉजी विभाग के विशेषज्ञ शामिल हुए।
हरियाणा के तत्कालीन सिंचाई मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव की अध्यक्षता में यह बैठक हुई थी। तय हुआ कि पहले चरण में ओएनजीसी ने राजस्थान में खुदाई कर ली और द्वितीय चरण में हरियाणा में भी खुदाई होगी। 21 अप्रैल 2008 को इस संबंध में ओएनजीसी को पत्र भेजा गया। उसने दो मई को खुदाई करने की सहमति दे दी थी, लेकिन मामला लटका रहा। इसके बाद भाजपा की सरकार आने के बाद सात जून 2015 को केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती और 10 जून 2015 को केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को चिट्ठी भेजी गई। फिर हरियाणा की मनोहर सरकार ने भी रुचि दिखाई। सरस्वती नदी शोध संस्थान का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिला और इसका नतीजा सबके सामने है। अब यमुनानगर जिले में जलधारा फूट पड़ी है।