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अगले दो महीने में दिखेगी मोदी की कूटनीतिक धार

फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद पिछले वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजकीय मेहमान थे। उसके बाद भारत ने फ्रांस से राफेल युद्धक विमान खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी है।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Wed, 24 May 2017 08:53 PM (IST)Updated: Wed, 24 May 2017 08:53 PM (IST)
अगले दो महीने में दिखेगी मोदी की कूटनीतिक धार
अगले दो महीने में दिखेगी मोदी की कूटनीतिक धार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: केंद्र में सरकार के तीन वर्ष पूरा होने का जश्न मनाने के दो दिन बाद से ही पीएम नरेंद्र मोदी अपने कूटनीतिक एजेंडे में जुट जाएंगे। अगले दो महीनों के दौरान पीएम मोदी रूस, फ्रांस, अमेरिका, इजरायल समेत सात बड़े देशों की यात्रा करेंगे।

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अगले सोमवार से मोदी जर्मनी, स्पेन और रूस की यात्रा पर जाने वाले हैं, इसके बारे में पहले से घोषणा हुई थी लेकिन विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि मोदी इस यात्रा के अंत में 2 जून, 2017 को फ्रांस भी दो दिवसीय यात्रा पर पहुंचेगे। यह मोदी की फ्रांस की दूसरी द्विपक्षीय यात्रा होगी।

बहरहाल, फ्रांस जाने से पहले मोदी जर्मनी, स्पेन और रूस भी जाएंगे। लेकिन उनकी फ्रांस यात्रा को लेकर कूटनीतिक जगत में ज्यादा चर्चा है। इसकी एक वजह यह है कि फ्रांस में इमानुएल मैकरॉन की अगुवाई में नई सरकार के गठन के बाद वहां की आधिकारिक यात्रा पर जाने वाले मोदी किसी प्रमुख देश के पहले लीडर होंगे।

विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक मोदी की इस यात्रा के दौरान रणनीतिक मसलों पर खास तौर पर चर्चा होगी। सनद रहे कि भारत और फ्रांस पिछले एक दशक से एक दूसरे को रणनीतिक साझेदार देश मानते हैं। पीएम मोदी ने भी फ्रांस के द्विपक्षीय रिश्ते को प्रगाढ़ बनाने पर काफी ध्यान दिया है।

फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद पिछले वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजकीय मेहमान थे। उसके बाद भारत ने फ्रांस से राफेल युद्धक विमान खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी है। फ्रांस भारत में आण्विक ऊर्जा संयंत्र लगाने को भी तैयार है लेकिन भारत की तरफ से ही उसमें देरी की जा रही है। आतंकवाद के मुद्दे पर भी फ्रांस लगातार भारत का साथ देता रहा है।

पिछले हफ्ते भारत में फ्रांस के राजदूत अलेक्जेंडर जेगलर ने कहा है कि आने वाले दिनों में आतंकवाद के खिलाफ दोनों देशों के बीच साझेदारी और बढ़ेगी। इसके अलावा भारत की गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों को बढ़ावा देने में भी फ्रांस बहुत मदद कर रहा है।

फ्रांस से आने के कुछ ही दिनों बाद मोदी अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन (सीएसओ) की बैठक में हिस्सा लेंगे। भारत व चीन के रिश्तों में हाल के दिनों में आये तनाव को देखते हुए यह यात्रा बेहद अहम मानी जा रही है। इसके बाद मोदी

अमेरिका की बहुप्रतीक्षित यात्रा पर जा सकते हैं। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक भारत और अमेरिका के अधिकारियों के बीच मोटे तौर पर यह सहमति बन गई है कि मोदी 26 से 28 जून, 2017 तक अमेरिका की तीन दिवसीय यात्रा पर जाएंगे। डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद जब मोदी से पहली बार टेलीफोन पर बात की तो उन्हें अमेरिका आने के लिए आमंत्रित किया था।

मोदी की यात्रा इस लिहाज से भी अहम होगी कि कई विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि ट्रंप के वैश्विक नजरिए में भारत का वह स्थान नहीं रह गया है जो पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में था। अमेरिका से आने के कुछ ही दिनों बाद मोदी इजरायल की यात्रा पर जाएंगे।

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