स्कूलों में शिक्षा के साथ खाने की भी गुणवत्ता होगी दुरुस्त
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की मानें तो इस पहल का मुख्य मकसद यह है कि स्कूलों में बच्चों को अच्छा खाना मिले।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। स्कूलों में अच्छी शिक्षा के साथ अब अच्छा खाना भी मिलेगा। स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने में जुटी केंद्र सरकार ने इस दिशा में पहल तेज की है। इसे लेकर सभी राज्यों से मिड-डे मील से जुडी ऐसी जानकारियां जुटाई गई है, जो दूसरे राज्यों के लिए नजीर (उदाहरण) बन सके। माना जा रहा है कि मिड-डे मील को लेकर राज्यों के अच्छे कदमों को जल्द ही एक-दूसरे राज्यों के साथ साझा किया जाएगा। इनमें काम और उसके तरीके दोनों ही शामिल होंगे।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की मानें तो इस पहल का मुख्य मकसद यह है कि स्कूलों में बच्चों को अच्छा खाना मिले। वैसे तो इसके लिए सारे नियम और निर्देश पहले से ही जारी है, लेकिन इसके बाद भी राज्यों से आए दिन स्कूलों में बच्चों को परोसे जाने वाले भोजन की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठते रहते है। ऐसे में मंत्रालय ने योजना बनाई है कि वह अब इससे बचने के लिए और खाने की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए सभी राज्यों को उन राज्यों की अच्छे कामों को साझा करेंगी, जिससे वह स्कूली बच्चों को अच्छा खाना दे रहे है। इसके तहत फिलहाल जिन राज्यों की मिड-डे मील व्यवस्था को सबसे बेहतर पाया गया है, उनमें गुजरात, महाराष्ट्र, मिजोरम, पंजाब और गोवा प्रमुख है। माना जा रहा है कि दूसरे राज्य भी इन राज्यों के तरीकों को अपनाकर खाने की गुणवत्ता को बेहतर बना सकते है।
मिड-डे मील से जुडी राज्यों की कुछ अच्छी पहल
गुजरात- बच्चों को प्रतिदिन अच्छी कैलोरी का खाना। साथ में सप्ताह में पांच दिन 200 मिली पैक्ड दूध भी। हफ्ते में एक दिन स्पेशल भोजन।
मिजोरम- स्कूल में तैयार होने वाले खाने की प्रतिदिन स्वास्थ्य विभाग की टीम जांच करती है। सेंपल भी उन्ही के द्वारा लिया जाता है। यह पहल उन राज्यों के लिए उपयोगी हो सकती है, जहां मिड-डे मील के खाने से बच्चों के बीमार होने की खबर आती है।
गोवा- भोजन की गुणवत्ता पर खासा फोकस है। बच्चों को परोसने के पहले इसे स्कूल के किसी एक अध्यापक व बच्चों के किसी एक पैरेंट को खिलाया जाता है। जब वह ओके करते है, तब उसे बच्चों को दिया जाता है।
पंजाब- यहां बच्चों के खाने के लिए सांसद निधि से एक अच्छा डाइनिंग कक्ष तैयार किया गया है। जहां बच्चों के हाथ धोने और बैठकर खाने की व्यवस्था है।
महाराष्ट्र- स्कूलों में जनभागीदारी से बच्चों के खाने की व्यवस्था होती है। इसे स्नेह भोज नाम दिया गया है। इसे लोग स्वेच्छा से स्कूलों में आयोजित कराते है। जो किसी के अपने या बच्चे जन्मदिन या किसी खास पर्व पर भी कर सकते है।
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