केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने थाना प्रभारी को धमकाया!
गाजियाबाद में एक थाना प्रभारी ने केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी पर धमकी देने का आरोप लगाया है। कविनगर थाना प्रभारी अरुण कुमार सिंह ने मेनका गांधी पर आरोप लगाया है कि मंत्री ने फोन पर वर्दी उतरवाने की धमकी दी है। थाना प्रभारी ने रिपोर्ट तैयार कर एसएसपी धमर्ेंद्र सिंह को दी है। एसएसपी इस रिपोर्ट को शासन को भेज रहे हैं।
लखनऊ। गाजियाबाद में एक थाना प्रभारी ने केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी पर धमकी देने का आरोप लगाया है। कविनगर थाना प्रभारी अरुण कुमार सिंह ने मेनका गांधी पर आरोप लगाया है कि मंत्री ने फोन पर वर्दी उतरवाने की धमकी दी है। थाना प्रभारी ने रिपोर्ट तैयार कर एसएसपी धमर्ेंद्र सिंह को दी है। एसएसपी इस रिपोर्ट को शासन को भेज रहे हैं।
गाजियाबाद के सेक्टर 23 बी ब्लॉक में एक स्कूल में कल लंगूर आ गया था। इस पर पीपुल फॉर एनिमल संस्था (पीएफए) के सदस्य रुचिन मेहरा लंगूर को पकड़कर थाने ले आए। उन्होंने स्कूल के मालिक पर लंगूर को बंधक बनाने का आरोप लगाते हुए रिपोर्ट दर्ज करने की मांग की। स्कूल मालिक ने पुलिस को बताया कालोनी में बंदरों का आतंक है। बंदर कई बार बच्चों को घायल कर चुके हैं। इसके चलते कालोनी के लोगों ने ही लंगूर को किराये पर मंगाया था। इस दौरान लंगूर उनके स्कूल परिसर में घुस आया। इस पर थाना प्रभारी ने रिपोर्ट दर्ज करने से इन्कार कर दिया। पीएफए के सदस्य रुचिन मेहरा ने एक केंद्रीय मंत्री को मोबाइल से फोन मिलाकर थाना प्रभारी के हाथ में थमा दिया। थाना प्रभारी का आरोप है कि जब उन्होंने मंत्री को पूरे मामले से अवगत कराया तो उधर से धमकी दी जाने लगी।
थाना प्रभारी ने बताया कि पीएफए सदस्य ने वन दरोगा को साथ नहीं लिया गया था। पीएफए सदस्य को रिपोर्ट दर्ज कराने का अधिकार नहीं है, वे लोग गलत तरीके से दवाब बना रहे थे। वहीं, एसएसपी धमर्ेंद्र सिंह ने बताया कि थाना प्रभारी ने रिपोर्ट दे दी है, जो शासन को भेजी जा रही है। पीएफए सदस्यों पर लगातार अवैध रूप से वसूली के आरोप मिल रहे हैं। उधर, पएफए ने धमकाने के आरोप को झूठा करार दिया है।
संस्था के सदस्य रुचिन मेहरा ने बताया कालोनीवासियों की शिकायत पर वन विभाग के कर्मचारियों के साथ स्कूल से लंगूर को मुक्त करवाया था। पुलिस की मौजूदगी में वीडियोग्राफी करवाकर स्कूल प्रबंधन के दो आरोपियों व लंगूर को पुलिस को सौंपा दिया गया था। पुलिस ने स्कूल प्रबंधन के दबाव में रिपोर्ट दर्ज नहीं की।
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