राज्यसभा के उपसभापति ने संवेदनशील रिपोर्टिंग पर दिया बल
राज्यसभा में मीडिया द्वारा खबरों को पेश करने को लेकर गरमागरम बहस हुई।
नई दिल्ली, प्रेट्र। राज्यसभा में लगातार दूसरे दिन मीडिया रिपोर्टिंग का मुद्दा उठने पर उच्च सदन के उप सभापति पीजे कुरियन को मीडिया को सलाह देनी पड़ी। उन्होंने घटनाओं को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करने या खबरों को पूरी तरह से छोड़ने से बचने की सलाह दी। विपक्षी सदस्यों ने मीडिया संस्थानों पर चुनाव सुधार को लेकर सदन में हुई रचनात्मक बहस और सुझावों को प्रकाशित नहीं करने का आरोप लगाया। समाजवादी पार्टी के सदस्य नरेश अग्रवाल ने कहा कि देश की अपेक्षा रहती है कि सदन में जो भी चीजें हों उसकी रिपोर्टिंग ईमानदारी से की जाए। लेकिन, सिर्फ सदस्यों द्वारा शोरगुल करने या वेल में पहुंच कर नारेबाजी करने की घटनाओं की ही दिखाया जाता है।
इससे पहले बुधवार को जदयू सदस्य शरद यादव ने मीडिया के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि चुनाव सुधार पर बहस सदन की चारदीवारी में ही दफन हो जाती है। हालांकि, वरिष्ठ स्तंभकार स्वप्न दासगुप्ता ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि संसद या सरकार द्वारा मीडिया के लिए दिशा-निर्देश जारी करना खतरनाक होगा।
उच्च सदन के उपाध्यक्ष ने कहा इस बाबत प्रस्ताव लाकर मुद्दे पर बहस की जा सकती है। साथ ही उन्होंने कहा, 'अगर एक कुत्ता इंसान को काटता है तो वह खबर नहीं है, लेकिन यदि इंसान कुत्ते को काटता है तो वह समाचार है। इसी तरह अगर आप (संसद सदस्य) व्यवस्थित तरीके से अपनी बात कहते हैं या बहस करते हैं तो वह खबर नहीं है। लेकिन, जब आप सदन में अभद्र व्यवहार करते हैं तो वह खबर बन जाती है।' उन्होंने आगे कहा कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा खंभा है, लिहाजा उसे जिम्मेदार होने के साथ ईमानदारी से रिपोर्टिंग करनी चाहिए। किसी घटना को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करने के अलावा सकारात्मक खबरों की रिपोर्टिंग नहीं करना गलत है।