मनमोहन सरकार में रिहा किए गए आतंकी लगा रहे भारत की सुरक्षा में सेंध
मनमोहन सिंह सरकार ने 2010 में पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने की दिशा में पहल करते हुए शाहिद लतीफ समेत 25 आतंकियों को रिहा कर वापस पाकिस्तान भेज दिया था..
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पाकिस्तानी आतंकियों की रिहाई भारत की सुरक्षा पर भारी साबित हो रहा है। रिहा होकर पाकिस्तान पहुंचे आतंकी दोबारा भारत के खिलाफ हमले में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। पठानकोट में हमला करने आए आतंकियों को हैंडल रहे शाहिद लतीफ के छह साल पहले तक भारतीय जेल में बंद होने के खुलासे से सुरक्षा एजेंसियां सचेत हो गई है। एजेंसियां अब आतंकी को रिहा कर पाकिस्तान भेजने की की नीति पर सवालिया निशान लगा रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि भारत में मारे गए आतंकियों को पाकिस्तान स्वीकारने से इनकार करता रहा है, लेकिन जेल में बंद आतंकियों को सहर्ष स्वीकार लेता है।
दरअसल मनमोहन सिंह सरकार ने 2010 में पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने की दिशा में पहल करते हुए शाहिद लतीफ समेत 25 आतंकियों को रिहा कर वापस पाकिस्तान भेज दिया था। लेकिन इसके बाद किसी ने यह देखने की कोशिश नहीं की कि पाकिस्तान वापस भेजे गए आतंकी क्या कर रहे हैं। पठानकोट हमले में शाहिद लतीफ का नाम सामने से साफ हो गया है कि उनकी रिहाई एक भारी भूल थी। इसी तरह 2007 में सजा पूरी करने के बाद वापस भेजे गए एक आतंकी सैफुल्लाह खालिद अब वापस जैश ए मोहम्मद में सक्रिय है और उसके मुजफ्फराबाद स्थित कैंप की देखरेख करता है।
सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि शाहिद लतीफ और सैफुल्लाह खालिद जैसे आतंकियों की रिहाई के पहले सरकार को सोचना चाहिए थे। ये दोनों आतंकी उन 35 आतंकियों की सूची में शामिल थे, 1999 में आइसी 814 विमान अपहरण के बदले में जिनकी रिहाई की मांग की थी। उस समय वाजपेयी सरकार ने मजबूरन में अजहर मसूद समेत तीन आतंकियों की रिहा तो कर दिया था। लेकिन अन्य आतंकियों को छोड़ने से साफ इनकार दिया था। लेकिन संप्रग सरकार के आने के बाद धीरे-धीरे उन सभी आतंकियों को रिहाकर वापस पाकिस्तान भेज दिया गया है। उन्होंने कहा कि विमान अपहरण के बदले में जिन 35 आतंकियों की सूची सौंपी गई थी, उनमें से अधिकांश अब वापस पाकिस्तान जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि 2008 तक शुरुआती चार सालों में ही संप्रग सरकार ने 60 आतंकियों को रिहा कर दिया था। रिहा किए गए आतंकियों के वापस आतंकी हमले में शामिल होने की यह पहली घटना नहीं है। सुरक्षा एजेंसियों की माने तो इसके पहले कश्मीर में ऐसी कई वारदातें सामने आ चुकी हैं।
सबसे बड़ी हैरानी की बात यह है कि पाकिस्तान भारत में मारे गए आतंकियों को कभी भी अपना स्वीकार नहीं करता है। यहां तक कि मुंबई हमले में गिरफ्तार आतंकी अजमल कसाव को भी पाकिस्तान ने स्वीकार नहीं किया था। लेकिन भारत की जेलों से रिहा किये गए आतंकियों को अपनाने में पाकिस्तान ने एक बार भी आनाकानी नहीं की है। यहां तक उनकी समय पूर्व रिहाई के लिए दबाव बनाता रहा है। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आतंकवाद जैसे मामले में पकड़े गए आतंकियों की रिहाई की नीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।
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