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मोदी देंगे देश को सशक्त सरकार : न्यायमूर्ति मालवीय

देश को इस समय एक सशक्त और स्थिर सरकार की सख्त जरूरत है। गठबंधन सरकारों ने देश को काफी पीछे धकेल दिया है। इस समय नरेंद्र मोदी ही अकेले नजर आ रहे हैं जो सशक्त सरकार दे सकते हैं। यह कहना था इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय का। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय के पौत्र न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय भाजपा के

By Edited By: Published: Mon, 21 Apr 2014 09:20 PM (IST)Updated: Tue, 22 Apr 2014 08:10 AM (IST)
मोदी देंगे देश को सशक्त सरकार : न्यायमूर्ति मालवीय

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद। देश को इस समय एक सशक्त और स्थिर सरकार की सख्त जरूरत है। गठबंधन सरकारों ने देश को काफी पीछे धकेल दिया है। इस समय नरेंद्र मोदी ही अकेले नजर आ रहे हैं, जो सशक्त सरकार दे सकते हैं। यह कहना था इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय का। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय के पौत्र न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी के नामांकन के प्रस्तावक बने हैं।

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काशी में पंडित मदनमोहन मालवीय से जुड़ाव का अपना महत्व है। भाजपा शायद इसी वजह से काफी पहले से ही न्यायमूर्ति मालवीय से प्रस्तावक बनने के लिए संपर्क कर चुकी थी। स्वयं न्यायमूर्ति मालवीय का कहना है कि कुछ सप्ताह पूर्व किसी का फोन आया था तो मैंने उस पर अपनी सहमति जता दी थी। रविवार रात में भाजपा के प्रदेश प्रभारी अमित शाह ने एक बार फिर फोन कर उनसे प्रस्तावक बनने के संबंध में पुष्टि की। न्यायमूर्ति मालवीय का कहना था कि भाजपा ने क्या सोच कर उन्हें प्रस्तावक बनने के लिए कहा यह तो मैं नहीं जानता। मेरा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), भाजपा या किसी अन्य दल से कभी कोई विशेष जुड़ाव नहीं रहा है। मैं सामाजिक, सांस्कृतिक संगठनों के बीच जरूर सक्रिय रहा हूं। मैंने क्या सोचकर हां बोला, वह मैं जरूर जानता हूं।

न्यायमूर्ति मालवीय के अनुसार वह नरेंद्र मोदी के भाषणों को काफी समय से सुन रहे हैं। वह वसुधैव कुटुंबकम व सर्वधर्म समभाव की बात करते हैं। यही भारतीय संस्कृति रही है। यह सुनकर लगा कि कोई भारतीय संस्कृति से जुड़ी बात तो कह रहा है। फिर आज के अन्य नेता सर्वधर्म समभाव तोड़ने में जुटे रहते हैं। एक धर्म को दूसरे का दुश्मन बताने और इस तरह उन्हें वोट बैंक बनाकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने में लगे हैं, ऐसे में सभी के साथ समान व्यवहार की मोदी की बात उन्हें पसंद आई।

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