72,000 करोड़ के महाराष्ट्र सिंचाई घोटाले में 4 नई FIR दर्ज
महाराष्ट्र के एंटीकरप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने राज्य के 72,000 करोड़ के सिंचाई घोटाले में सरकारी अधिकारियों और ठेकेदारों समेत दो दर्जन लोगों के खिलाफ चार नई एफआइआर दर्ज की है।
नागपुर, आइएएनएस। महाराष्ट्र के एंटीकरप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने राज्य के 72,000 करोड़ के सिंचाई घोटाले में सरकारी अधिकारियों और ठेकेदारों समेत दो दर्जन लोगों के खिलाफ चार नई एफआइआर दर्ज की हैं। नागपुर रेंज के एसीबी ने सदर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया है।
एसीबी इंस्पेक्टर पीआर पाटिल ने मंगलवार को बताया, 'कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस (राकांपा) के शासनकाल यानी वर्ष 2009 में हुए इस घोटाले में यह दोनों दल एक बहुत बड़ी सरकार विरोधी प्रक्रिया में लीन थे। जिस समय यह घोटाला उजागर हुआ अजित पवार और सुनील तत्करे समेत राकांपा के कई वरिष्ठ नेता सिंचाई विभाग को देख रहे थे।'
ताजा एफआइआर के जरिए जांचकर्ता यह पता लगाएंगे कि पूर्वी महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में 38 सिंचाई परियोजनाओं की लागत 6.672 करोड़ रुपए से एकाएक 26,722 करोड़ रुपए कैसे हो गई। लागत में यह बदलाव विदर्भ सिंचाई विकास कारपोरेशन (वीआइडीसी) के जरिए लाया गया। हालांकि यह लागत परियोजना की असली लागत से 300 गुना अधिक थी। अतिरिक्त खर्च को मंजूरी भी तीन महीने में ही दे दी गई थी। वीआइडीसी ने बढ़ी हुई लागत को यह कहते हुए उचित ठहराया है कि समय के साथ निर्माण सामग्री से लेकर श्रमिक, इंजीनियरिंग और भूमि अधिग्रहण के दाम बढ़ गए हैं।
हालांकि जांचकर्ताओं ने इस बढ़ोतरी में एक और झोल पाया। 15 अगस्त यानी राष्ट्रीय अवकाश के दिन कुछ परियोजनाओं की लागत बढ़ाई गई। इतना ही नहीं, वीआइडीसी ने एक ही दिन में सभी 38 परियोजनाओं के लिए बिड भी जारी की और उन्हें मंजूरी भी दे दी। यह लागत अचानक बढ़कर 72 हजार करोड़ रुपए हो गई। इसके बावजूद लक्षित जल कार्य आज तक पूरा नहीं हुआ है। एक पूर्व राजनयिक विजय पंढारे ने वर्ष 2012 में इस घोटाले से पर्दा उठाया था। बाद में वह आम आदमी पार्टी (आप) में शामिल हो गए। इस मुद्दे पर अजित पवार से तीन बार एसीबी पूछताछ कर चुकी है।
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