'भारत रत्न' बने महामना मालवीय
महान स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद महामना मदनमोहन मालवीय को मरणोपरांत देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसी मौके पर पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और स्वामी रामभद्राचार्य को 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। महान स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद महामना मदनमोहन मालवीय को मरणोपरांत देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसी मौके पर पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और स्वामी रामभद्राचार्य को 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया। सोमवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित गरिमामय समारोह में महामना की पौत्रवधू सरस्वती मालवीय ने राष्ट्रपति से सम्मान ग्रहण किया। इस अवसर पर मालवीय के पौत्र प्रेमधर मालवीय, गिरिधर मालवीय और अन्य परिजन भी उपस्थित थे। पिछले साल 24 दिसंबर को महामना मालवीय और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को 'भारत रत्न' से सम्मानित करने की घोषणा की गई थी। बेहद बीमार चल रहे वाजपेयी को यह सम्मान देने के लिए राष्ट्रपति पिछले सप्ताह प्रोटोकॉल तोड़ते हुए स्वयं उनके घर गए थे।
दरबार हॉल में आयोजित इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्म पुरस्कार भी सौंपा। इस मौके पर उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और वित्त मंत्री अरुण जेटली सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद थे।
इन्हें मिला 'पद्म भूषण'
संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एन. गोपालस्वामी, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे, पहलवान सतपाल, पत्रकार स्वपन दासगुप्ता और रजत शर्मा को 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया गया।
इन्हें मिला 'पद्म श्री'
बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी संधू, हॉकी के सरदार सिंह, पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा, फिल्मकार संजय लीला भंसाली और गीतकार प्रसून जोशी को 'पद्म श्री' से नवाजा गया। लोकप्रिय कार्टून किरदार चाचा चौधरी के जनक स्वर्गीय प्राण को मरणोपरांत 'पद्म श्री' से सम्मानित किया गया। इसके अलावा डॉ. उषाकिरण खान, तारक जनुभाई मेहता और डॉ. जनक पल्टा को भी 'पद्म श्री' प्रदान किया गया।
कोई कांग्रेसी नेता नहीं आया
समारोह में आश्चर्यजनक रूप से कोई भी कांग्रेस नेता मौजूद नहीं था। राष्ट्रपति भवन के सूत्रों ने बताया कि नियमानुसार पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आमंत्रित किया गया था। इस मौके पर कार्टूनिस्ट प्राण की पत्नी आशा ने कहा कि पुरस्कार देरी से दिया गया, लेकिन फिर भी यह उनके जीवनकाल में किए गए रचनात्मक काम की प्रशंसा करना है।
शिक्षा के प्रसार को मिशन बनाया
भारतवासियों में शिक्षा के प्रसार को मिशन बनाने वाले मालवीय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। 25 दिसंबर, 1861 को जन्मे मालवीय 1886 में कोलकाता के कांग्रेस अधिवेशन में दिए गए अपने पहले ही प्रभावशाली भाषण से देश के राजनीतिक क्षितिज पर कद्दावर नेता के रूप में उभरे। वह 1909 और 1918 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने। मालवीय को स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी अहम भूमिका और हिंदू राष्ट्रवाद को आगे बढ़ाने के लिए जाना जाता है। वह हिंदू महासभा के प्रारंभिक नेताओं में थे।
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