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जेएनयू में बढ़ सकती हैं एमफिल व पीएचडी की सीटें

जेएनयू में एमफिल और पीएचडी में सीट बढ़ोतरी की मांग को लेकर शिक्षकों व छात्रों ने यूजीसी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया।

By Mohit TanwarEdited By: Published: Tue, 28 Mar 2017 08:48 PM (IST)Updated: Tue, 28 Mar 2017 09:30 PM (IST)
जेएनयू में बढ़ सकती हैं एमफिल व पीएचडी की सीटें
जेएनयू में बढ़ सकती हैं एमफिल व पीएचडी की सीटें

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली।  जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में एमफिल और पीएचडी की सीटें पांच से दस फीसद तक बढ़ने की उम्मीद है। छात्रों के लगातार हो रहे विरोध के चलते प्रशासन सीट बढ़ाने के लिए नया फार्मूला लागू कर सकता है। जेएनयू के उच्च अधिकारी बैठक कर समस्या का समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं। यूजीसी नोटिफिकेशन पर हाई कोर्ट के निर्णय की अवमानना न हो, इसका भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है।

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सीट कटौती को लेकर दक्षिणपंथी और वामपंथी छात्र नेताओं और कुछ शिक्षकों ने बैठक की थी। उनका कहना है कि सीटों की संख्या 1100 से घटकर 194 हो जाने से वंचित वर्ग के छात्रों को काफी परेशानी होगी। यह भी कहा जा रहा है कि एमफिल-पीएचडी में सीटों की संख्या में मामूली बढ़ोतरी भले हो जाए, लेकिन डेप्रिवेशन प्वाइंट (वंचित वर्ग के जिलों के छात्रों को दिया जाने वाला अतिरिक्त अंक) नहीं दिया जाएगा।

यूजीसी कार्यालय के बाहर छात्रों ने किया प्रदर्शन

जेएनयू में एमफिल और पीएचडी में सीट बढ़ोतरी की मांग को लेकर शिक्षकों व छात्रों ने यूजीसी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में छात्र संगठनों के सदस्य कम और एमए के सामान्य छात्र अधिक थे। शिक्षकों व छात्रों के नौ प्रतिनिधियों ने यूजीसी के सदस्य प्रो. आरसी कोहाट से मुलाकात की। जेएनयू छात्र संगठन के अध्यक्ष मोहित पांडेय ने बताया कि प्रो. कोहाट को ज्ञापन सौंपा गया है। कई बातों को उन्होंने स्वीकार किया है। मंगलवार को यूजीसी में कमेटी के सदस्यों की बैठक भी थी।

एबीवीपी ने भी की मुलाकात

एमफिल और पीएचडी की सीटों के मुद्दे पर एबीवीपी के प्रतिनिधिमंडल ने भी यूजीसी सदस्यों से मुलाकात की। जेएनयू में एबीवीपी के अध्यक्ष ललित पांडेय ने कहा कि यूजीसी के सदस्यों ने आश्वासन दिया है कि यूजीसी की बैठक में इस विषय को रखा जाएगा। एबीवीपी ने छात्रों के भविष्य को लेकर एक ज्ञापन भी सौंपा है। इसमें मांग की गई है कि सीट कटौती न की जाए। प्राध्यापकों की नियुक्ति व डेप्रिवेशन प्वाइंट लागू करने की भी मांग रखी गई है।

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