यह है जर्मनी की विक्टोरिया और बिहार के राज सिंह की प्रेम कहानी ...जानिए
पश्चिम की ओर भागती हमारी युवा पीढ़ी के लिए यह घटना अपनी संस्कृति की खूबियां दिखाती है। इसी से प्रभावित हो कर जर्मनी की विक्टोरिया ने बिहार के जमुई पहुंचकर गिद्धौर के रतनपुर गांव के राज से विवाह कर लिया।
पटना। पश्चिम की ओर भागती हमारी युवा पीढ़ी के लिए यह घटना अपनी संस्कृति की खूबियां दिखाती है। यह विदेशियों में भारतीय संस्कृति का आकषर्ण ही है कि वहां की लड़कियों को भारतीय लड़के भा रहे हैं। बात शादी तक पहुंच जा रही है। ऐसा ही एक मामला जमुई में देखने को मिला, जिसमें जर्मनी की विक्टोरिया ने बिहार के जमुई पहुंचकर गिद्धौर के रतनपुर गांव के राज से विवाह कर लिया।
गोवा में हुई मुलाकात
विक्टोरिया जर्मनी के हमबर्ग की रहने वाली है। वह बताती है कि राज सिंह से उसकी मुलाकात 2014 में गोवा में हुई थी। वह गोवा टूर पर आई थी, जहां राज एक टूरिच्म कंपनी में कर्मचारी था।
सोशल साइट्स से परवान चढ़ा प्यार
विक्टोरिया कहती है कि वे वापस लौट गईं, लेकिन उन दानों में दोस्ती कायम रही। इसमें सोशल साइट्स व फोन सहारा बने। फिर धीरे-धीरे प्यार हो गया। विक्टोरिया को भारत का माहौल काफी पसंद आया। विक्टोरिया ने बताया, 'राज के विचारों से प्रभावित होकर मैंने उसके साथ जीवन गुजारने का फैसला कर लिया। राज कहते हैं कि दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया।
...और हो गया विवाह
बिहारी दूल्हे का ख्वाब लिए विक्टोरिया बीते छह मार्च को फिर भारत आई और राज सिंह के साथ उसके जमुई के रतनपुर गांव जा पहुंची। राज के माता-पिता की रजामंदी से दोनों ने 11 मार्च को विवाह के लिए जमुई स्थित निबंधन कार्यालय में आवेदन कर दिया। फिर, 25 अप्रैल को विवाह के निबंधन के साथ दोनों विधिवत पति-पत्नी बन गए।
विदेशी बहू पाकर खुश हैं माता-पिता
राज सिंह के पिता नरेंद्र कुमार सिंह और मां तिलोत्तमा देवी ने सपने में भी बेटे के ऐसे विवाह के बारे में नहीं सोचा था। बहरहाल, वे विदेशी बहू पाकर बहुत खुश हैं। राज की मां ने कहा कि वे भारतीय संस्कृति 'वसुधैव कुटुंबकम' पर विश्वास करते हुए सारे जहां को अपना रिश्तेदार मानती हैं। ऐसे में जाति और देश के बंधन मायने नहीं रखते।
भारतीय संस्कृति से प्रभावित है विक्टारिया
राज व विक्टोरिया के विवाह के दौरान कोर्ट परिसर में पूरा इलाका उमड़ पड़ा था। सभी कौतूहल से इस जोड़े को देख रहे थे। सबके मन में कई सवाल थे, लेकिन एक सवाल कॉमन था कि विदेशी विदेशी बहू भारतीय समाज में कैसे एडजस्ट करेगी? इसका जवाब विक्टोरिया की बातों से ही मिलता है। वह कहती है, 'मुझे भारत की संस्कृति बहुत पसंद है। मैं इसे पूरी तरह अपनाने की कोशिश करूंगी।