जल्दबाजी में लूट का रास्ता खोलेगा खाद्य सुरक्षा कानून
सरकार जिस राशन प्रणाली के भरोसे देश की दो तिहाई जनता को अति रियायती दर पर अनाज बांटने का मंसूबा पाले बैठी है, वह पहले से ही चरमराई हुई है। उसे मजबूत बनाए बगैर चुनावी लाभ के लिए जल्दबाजी में खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने का मतलब खजाने की खुली लूट को न्योता देना है। सरकारी रिपोर्ट की मानें तो राशन प्रणाली का 50 फीसद से अधिक अनाज गरीब के घर पहुंचने से पहले ही चोरी हो जाता है। राशन की यह चोरी कई बड़े राज्यों में 75 फीसद तक होती है।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। सरकार जिस राशन प्रणाली के भरोसे देश की दो तिहाई जनता को अति रियायती दर पर अनाज बांटने का मंसूबा पाले बैठी है, वह पहले से ही चरमराई हुई है। उसे मजबूत बनाए बगैर चुनावी लाभ के लिए जल्दबाजी में खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने का मतलब खजाने की खुली लूट को न्योता देना है। सरकारी रिपोर्ट की मानें तो राशन प्रणाली का 50 फीसद से अधिक अनाज गरीब के घर पहुंचने से पहले ही चोरी हो जाता है। राशन की यह चोरी कई बड़े राज्यों में 75 फीसद तक होती है।
केंद्रीय योजना के कार्यक्रम मूल्यांकन संगठन ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के कामकाज का मूल्यांकन करते हुए एक रिपोर्ट तैयार की है। हालांकि रिपोर्ट में राशन प्रणाली की सप्लाई लाइन में जगह-जगह रिसाव (लीकेज) बताया गया है। इस लीकेज या लूट को रोकने के पुख्ता उपायों के बगैर मौजूदा ध्वस्त प्रणाली पर ही कई गुना आपूर्ति बढ़ाने का फैसला लिया गया है। अनाज की यह चोरी एफसीआइ के गोदामों से गरीब के रसोई तक पहुंचने के रास्ते में होती है।
खाद्य सुरक्षा कानून के अमल में आने पर कुल छह करोड़ टन अनाज राशन प्रणाली के मार्फत बांटा जाएगा, जो अति रियायती यानी एक रुपये (मोटा अनाज), दो रुपये (गेहूं) और तीन रुपये (चावल) प्रति किलो होगा। ऐसे में राशन चोरों की नजर इसकी लूट पर ज्यादा होगी। खाद्य सब्सिडी 85 हजार करोड़ से बढ़कर 1.24 लाख करोड़ रुपये होने वाली है। यानी मौजूदा राशन प्रणाली पर खाद्य सुरक्षा का बोझ आते ही खुली लूट का रास्ता और खुल जाएगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, जिन राज्यों में राशन चोरी सर्वाधिक है, उनमें बिहार और पंजाब का नाम प्रमुख है। यहां 75 फीसद तक राशन का अनाज चोरी हो जाता है। हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में राशन की यह चोरी 50 से 75 फीसद तक होती है। अनाज की सर्वाधिक चोरी रियायती मूल्य की दुकानों (एफपीएस) से होती है। इसमें हरियाणा, पंजाब और बिहार के राशन दुकानदार सबसे आगे हैं। पीडीएस से अनाज की चोरी नकली अथवा फर्जी राशन कार्ड के माध्यम से की जाती है। इस रास्ते से गरीबों के अनाज की चोरी में असम, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश सबसे आगे हैं। जबकि बिहार, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल दूसरे पायदान पर हैं। बीपीएल के साथ एपीएल वर्ग के उपभोक्ताओं के भी नाम पर अनाज की चोरी की जाती है। हालांकि कुछ राज्यों ने ऐसे कार्ड रद करने की कोशिश जरूर की है।
राज्यों में राशन चोरी की स्थिति
75 फीसद से अधिक : बिहार व पंजाब
50 से 75 फीसद : हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश
25 से 50 फीसद : हिमाचल,गुजरात, राजस्थान,महाराष्ट्र
25 फीसद से कम : प.बंगाल,आंध्र प्रदेश , केरल, ओडिशा, तमिलनाडु
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