बैंकों में तीन दिन की छुट्टी के कारण स्थिति 'बद से बदतर'
तीन दिन की छुट्टी के बाद बैंक मंगलवार को खुलेंगे और इसलिए इस सप्ताहांत ‘कैश की किल्लत’ में राहत के कोई आसार नहीं दिख रहे।
नई दिल्ली/लखनऊ/मुंबई। सभी बैंकों में लगातार तीन दिन की छुट्टी के कारण राष्ट्रीय राजधानी समेत कई शहरोंं में बैंकों और एटीएम के सामने लगी लोगों की कतार में शुक्रवार को कोई कमी नहीं दिखी। शनिवार, रविवार और सोमवार को ईद-ए-मिलाद के अवसर पर बैंकों में छुट्टी है।
राजधानी में बरकरार है किल्लत
राजधानी दिल्ली में अधिकतर बैंकों के अंदर कैश की किल्लत और बाहर बेचैन ग्राहकों की भीड़ को देखा जा सकता है। राजधानी के एक प्राइवेट बैंक के अनुसार, तीन दिनों की छुट्टी के बाद बैंक के खुलने पर कैश की कमी झेलनी पड़ेगी। राजधानी के अधिकांश एटीएम में कैश की किल्लत बनी हुई है।
मुंबई में सुधरी है स्थिति
राज्य संचालित बैंकों की हालत कुछ सुधरी है, क्योंकि उन्हें कुछ अधिक शेयर दिए गए हैं। बैंकरों ने बताया कि सरकार व आरबीआइ के द्वारा इस बात का आश्वासन दिया गया था कि नए नोट भेजे जाएंगे, लेकिन इसके बावजूद 500 रुपये वाले नोटों की कमी जारी है। प्राइवेट बैंक के एक अधिकारी के अनुसार, पिछले दो दिनों में मुंबई की स्थिति थोड़ी सुधरी है।
शुक्रवार को मुंबई स्थित प्राइवेट बैंकों को 60 करोड़ रुपये मिले, जबकि दिल्ली में मात्र 25 करोड़ रुपये थे। प्राइवेट बैंकर ने बताया, ’अगले हफ्ते तक हमें उम्मीद है कि 500 रुपये के नोटों की बढ़ी सप्लाई के साथ हमें एक दिन में 80 करोड़ रुपये मिलेंगे। इससे दबाव कम होगा।‘
कतार है कि सिकुड़ने का नाम नहीं ले रही
उत्तर प्रदेश में बैंकों व एटीएम में लगी लंबी कतार सिकुड़ने का नाम नहीं ले रही है। बैंकरों ने शिकायत की है कि उन्हें आरबीआई से पर्याप्त राशि नहीं मिल रही। राज्य के अधिकतर एटीएम खाली पड़े हैं, जबकि आरबीआइ द्वारा सेट किए गए अधिकतम राशि 24,000 रुपये की जगह बैंकों में 5000, 10000 और 24000 रुपये ही दिए जा रहे हैं। बैंकों में लगातार तीन छुट्टियों के कारण उत्तर प्रदेश में सप्ताहांत काफी मुश्किल भरा है।
लखनऊ में अधिकांश अग्रणी बैंकों ने बताया कि नोटबंदी के बाद प्रतिदिन फुटबॉल खेलने जैसा काम हो गया है और यह दिसंबर के पहले सप्ताह में तीन गुना अधिक बढ़ गया है और आरबीआई की ओर से कैश सप्लाई पहले की तुलना में 40 फीसद कम हो गयी है।
नोटबंदी के बाद बढ़ी कैश की मांग
सरकारी बैंक के कैश अधिकारी ने बताया, ‘नोटबंदी से पहले हमारी प्रतिदिन की जरूरत 40-50 लाख रुपये थे लेकिन 9 नवंबर के बाद प्रतिदिन की मांग करीब 1.5 करोड़ रुपये हो गई है, क्योंकि लोगों ने आपात परिस्थिति के लिए पैसे जमा करने शुरू कर दिए हैं। दूसरी ओर आरबीआई हमारी प्रतिदिन की जरूरतों का मात्र 40 फीसद ही दे रहा है।‘
नोटबंदी से सुस्त पड़ी आर्थिक गतिविधियों का पड़ेगा आगामी बजट की तैयारियों पर असर