सरकारी खरीद में स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता, कैबिनेट ने दी मंजूरी
औद्योगिक नीति व संवर्धन विभाग (डीआइपीपी) के तहत एक स्थायी समिति इस नीति के अमल की निगरानी करेगी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सरकारी खरीद में स्थानीय उत्पादों की हिस्सेदारी बनाने के लिए सरकार ने खरीद की नई नीति बनायी है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस नीति के मसौदे पर बुधवार को मुहर लगा दी। इसके तहत अब जिन उत्पादों की उपलब्धता स्थानीय स्तर पर पर्याप्त है उसकी खरीद प्रक्रिया में केवल स्थानीय निर्माताओं को ही शामिल किया जाएगा। सरकार ने यह कदम मेक इन इंडिया की नीति को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से उठाया है। दूसरी तरफ सरकार ने विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआइपीबी) को समाप्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूर की गई सरकारी खरीद की नई नीति में कहा गया है कि 50 लाख रुपये तक की वस्तुओं की सरकारी खरीद प्रक्रिया में केवल स्थानीय निर्माताओं को ही शामिल किया जाएगा। इसके अलावा जिन उत्पादों के मामले में स्थानीय उत्पादन क्षमता पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है वहां भी खरीद में उन्हें प्राथमिकता मिलेगी।
पचास लाख रुपये से अधिक अथवा ऐसे उत्पाद जिनमें स्थानीय क्षमता पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है, की सरकारी खरीद में अगर न्यूनतम बोली देने वाला स्थानीय निर्माता नहीं है तो स्थानीय निर्माता को 20 प्रतिशत के मार्जिन के साथ बोली मैच कराने का मौका मिलेगा। लेकिन यदि ऑर्डर की मात्रा इतनी है कि उसे दो भागों में विभाजित किया जा सकता है तो न्यूनतम बोली देने वाले निर्माता के साथ स्थानीय निर्माता को आधा आधा आर्डर दिया जाएगा।
औद्योगिक नीति व संवर्धन विभाग (डीआइपीपी) के तहत एक स्थायी समिति इस नीति के अमल की निगरानी करेगी। यदि समिति को कुछ सुझाव देने की आवश्यकता होगी तो वह संबंधित मंत्रालयों को सीधे सिफारिश कर सकेगी।
इसके अतिरिक्त सरकार ने एफआइपीबी को समाप्त करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है। अब सभी मंत्रालयों को उनके अधीन आने वाले क्षेत्रों में विदेशी निवेश के प्रस्ताव को मंजूरी देने का अधिकार होगा। लेकिन रक्षा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों के लिए गृह मंत्रालय की पूर्व मंजूरी आवश्यक होगी। एफआइपीबी में जितने प्रस्ताव लंबित हैं उन सभी को वापस संबंधित मंत्रालयों को विचारार्थ भेज दिया जाएगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एफआइपीबी को समाप्त करने के फैसले पर कहा कि करीब 91-95 फीसद प्रस्ताव ऑटोमैटिक मंजूरी के दायरे में आते हैं। इसलिए एफआइपीबी अप्रासंगिक होता जा रहा था।
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