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जंग में केंद्र ने तय की हद तो केजरीवाल ने किया पलटवार

केंद्र सरकार ने दिल्ली के उप राज्यपाल नजीब जंग के साथ अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की हदें तय कर दीं। गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को अधिसूचना जारी कर साफ कर दिया कि संविधान के अनुरूप दिल्ली में अधिकारियों के तबादले का अंतिम अधिकार उप राज्यपाल का

By Sachin kEdited By: Published: Sat, 23 May 2015 01:48 AM (IST)Updated: Sat, 23 May 2015 07:29 AM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दिल्ली के उप राज्यपाल नजीब जंग के साथ अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की हदें तय कर दीं। गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को अधिसूचना जारी कर साफ कर दिया कि संविधान के अनुरूप दिल्ली में अधिकारियों के तबादले का अंतिम अधिकार उप राज्यपाल का है।

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संविधान में स्पष्ट रूप से दिल्ली में लोक सेवाएं, लोक व्यवस्था, पुलिस और जमीन के मामलों को राज्य सरकार के दायरे से बाहर रखा गया है। दूसरी ओर, अधिसूचना से बौखलाए केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने इसको ट्रांसफर-पोस्टिंग उद्योग से जोड़कर राजनीतिक बढ़त हासिल करने की कोशिश की है। वहीं, केजरीवाल ने भी पलटवार किया है।

संवैधानिक है उप राज्यपाल का अधिकार
पिछले कुछ दिनों से चल रहे उप राज्यपाल और मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र के विवाद का अंत करते हुए गृह मंत्रालय ने साफ कर दिया कि उप राज्यपाल को दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर व पोस्टिंग का पूरा अधिकार है और वह चाहें तो मुख्यमंत्री से सलाह ले सकते हैं।

इसके लिए गृह मंत्रालय ने संविधान की धारा 239एए का हवाला दिया है जिसके तहत आइएएस और आइपीएस अधिकारियों का प्रशासन केंद्र के हाथ में होता है। जाहिर है अधिकारियों के तबादले के लिए उप राज्यपाल को मुख्यमंत्री की सलाह लेने की कोई बाध्यता नहीं है, जैसा कि केजरीवाल दावा कर रहे थे।

दिल्ली का कोई कैडर नहीं
अधिसूचना में दिल्ली के अधिकारियों पर केंद्र सरकार के अधिकार का संवैधानिक आधार भी बताया गया है। इसके अनुसार दिल्ली का अपना लोक सेवा आयोग नहीं है और यहां केंद्र शासित प्रदेश कैडर के अधिकारी तैनात होते हैं। इस कारण इन अधिकारियों की तैनाती दिल्ली के अलावा चंडीगढ़, लक्षद्वीप, दादर-नगर हवेली, पांडेचरी, अंडमान-निकोबार जैसे किसी भी केंद्र शासित प्रदेश में हो सकती है। यदि दिल्ली में अधिकारियों की तैनाती का अधिकार राज्य सरकार के हवाले कर दिया गया तो अन्य केंद्र शासित प्रदेशों में उनकी तैनाती में अव्यवस्था फैल सकती है।

विधायी शक्ति नहीं, कार्यकारी भी नहीं
संविधान की धाराओं का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि दिल्ली विधानसभा को सेवा, लोक व्यवस्था, पुलिस और जमीन के मामले में कानून बनाने का अधिकार नहीं है। संविधान में यह अधिकार संसद को दिया गया है। अधिसूचना के अनुसार, यह स्थापित तथ्य है कि जहां विधायी शक्ति नहीं होती है, वहां कार्यकारी शक्ति भी नहीं होती है। जब इन मामलों में दिल्ली विधानसभा को कानून बनाने का अधिकार नहीं है तो उससे बनने वाली सरकार के पास इन क्षेत्रों में कार्यकारी अधिकार कैसे हो सकता है।

एसीबी के अधिकार सीमित
अधिसूचना में यह भी साफ कर दिया गया है कि दिल्ली सरकार के मातहत आने वाले भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को केंद्रीय कैडर के अधिकारियों के खिलाफ जांच करने का अधिकार नहीं है।

अधिसूचना में कुछ भी नया नहीं है। केवल संविधान के पुराने अनुच्छेदों की व्याख्या की गई है। दिल्ली में मुख्यमंत्री और उप राज्यपाल का अधिकार कोई राजनीतिक मामला नहीं, बल्कि संवैधानिक है। सरकार ने नई अधिसूचना जारी कर इसे और भी स्पष्ट कर दिया है, ताकि किसी तरह की दुविधा न रहे।
-अरुण जेटली, वित्त मंत्री

पिछले दरवाजे से दिल्ली पर राज करना चाहता है केंद्रः केजरीवाल

दिल्ली सरकार व उपराज्यपाल नजीब जंग के विवाद में गृह मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी अधिसूचना पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पलटवार किया है। मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार सचिवालय में बुलाई गई प्रेस वार्ता में केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर कई आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन विधायकों के जरिये पिछले दरवाजे से दिल्ली सरकार चलाने की कोशिश कर रहे हैं।

ट्रांसफर-पोस्टिंग पर पूरा ध्यान

केजरीवाल ने कहा कि न तो केंद्र सरकार के किसी मंत्री ने और न ही उप राज्यपाल ने आज तक दिल्ली में बिजली-पानी की स्थिति के बारे में उनसे चर्चा की। बस सारा ध्यान अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग पर है। यह विभाग उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया देखते हैं। मुख्यमंत्री के अनुसार, सिसोदिया को कुछ कुछ अधिकारियों ने बताया कि पहले की सरकार में अधिकारियों की ट्रांसफर व पोस्टिंग के लिए खूब पैसा लिया जाता था। नेता अपनी सुविधानुसार अधिकारियों को तैनात करते व करवाते थे। केजरीवाल ने कहा कि वह एक-दो दिन में आगे की कार्रवाई तय करेंगे।

एसीबी से डरी मोदी सरकार

केजरीवाल के मुताबिक, आम आदमी पाटी की सरकार बनने के बाद दिल्ली में भ्रष्टाचार में कमी आई और संबंधित शिकायतों पर कार्रवाई हुई है। सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो(एसीबी) ने तीन महीने में 36 अधिकारियों को गिरफ्तार और 152 अधिकारियों को निलंबित किया है। एसीबी को लेकर भ्रष्टाचारियों में खौफ है और उसी खौफ से केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर कहा है कि एसीबी केंद्रीय अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकती है।

नजीब वायसराय जैसे

मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकारियों के कार्यभार को लेकर गत कुछ दिनों में जो कुछ हुआ उसे केजरीवाल व उप राज्यपाल नजीब जंग के बीच बहुत बड़ी जंग बताया जा रहा है। जबकि सरकार की लड़ाई जंग से नहीं बल्कि केंद्र की मोदी सरकार से है। केजरीवाल ने उप राज्यपाल को वायसराय जबकि प्रधानमंत्री मोदी को लंदन में बैठी क्वीन बताया। उन्होंने कहा कि उप राज्यपाल द्वारा दिए गए सभी आदेश प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से आ रहे हैं।

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