इरोम शर्मिला के हेल्थ चेकअप के लिए पहुंची पुलिस, ड्रामा
पुलिस रात करीब दस बजे मेडिकल चेकअप के लिए पहुंची, जिसके शर्मिला समेत वहां मौजूद लोगों ने विरोध किया।
इम्फाल। मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम चानू शर्मिला के स्वास्थ्य परिक्षण को लेकर बीती रात बवाल हो गया। दरअसल, पुलिस रात करीब दस बजे मेडिकल चेकअप के लिए पहुंची, जिसके शर्मिला समेत वहां मौजूद लोगों ने विरोध किया।
मालूम हो, 14 साल बाद अपनी रिहाई के बावजूद शर्मिला न तो अपनी मां से मिली हैं और न ही वे घर गई हैं। इरोम ने सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफस्पा) निरस्त किए जाने तक अनशन करने का निर्णय लिया है।
42 वर्षीय शर्मिला ने इम्फाल में जवाहर लाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के बाहर बने एक छोटे से अस्थाई तंबू में अपने 14 साल पुराने अनशन को जारी रखा है। इसी अस्पताल में उन्हें पुलिस हिरासत के दौरान जबरन नली के सहारे खाना खिलाया जाता था। अस्पताल से कुछ मीटर की दूरी पर शर्मिला का घर है, जहां उनकी मां और भाई रहते हैं।
समर्थकों को फिर हिरासत में लिए जाने की आशंका
शर्मिला के समर्थकों को आशंका है कि पुलिस उन्हें फिर हिरासत में लेने की कोशिश में है। गुरुवार रात जब बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी धरनास्थल पर पहुंचे तो शर्मिला ने कहा, वे स्वास्थ्य जांच नहीं कराएंगी।
शर्मिला के भाई इरोम सिंघाजीत ने बताया कि उनकी बहन ने फैसला किया है कि जब तक सरकार की ओर से लगाया गया अफस्पा कानून हटाया नहीं जाता, तब तक वे न तो अपने घर जाएंगी और न ही मां से मिलेंगी।
सिंघाजीत ने कहा, "मेरी मां ने कहा है कि उसे अनशन जारी रखने दो और मैं उससे तभी मिलूंगी, जब वह अपने कार्य में सफल हो जाएगी।" इससे पहले शर्मिला की 80 वर्षीय मां शाखी देवी ने कहा कि वे नहीं चाहती कि उनकी बेटी अपनी लड़ाई में कमजोर पड़े। वह चाहती हैं कि वह मजबूती से अपने लक्ष्य के लिए लड़ती रहे।
बड़े भाई से की थी मुलाकात
इससे पहले शर्मिला ने अपनी रिहाई के बाद बुधवार को बड़े भाई से मुलाकात की थी। शर्मिला ने पांच नवंबर 2000 को अपना अनशन शुरू किया था। तब शर्मिला ने कहा था कि वह अनशन के दौरान अपनी मां से नहीं मिलेंगी ताकि वह भावनात्मक रूप से कमजोर न पड़ें। इसके बाद से शर्मिला अपनी मां से महज एक बार मिली हैं। तब शाखी देवी भी उसी अस्पताल में भर्ती हुई थीं, जहां शर्मिला को बंधक बनाकर रखा गया था।
सुरक्षा के लिए मणिपुर सरकार तैयार
मणिपुर के गृहमंत्री गैखंगम ने कहा कि उनकी सरकार सामाजिक कार्यकर्ता इरोम चानू शर्मिला की सुरक्षा और देखभाल के लिए तैयार है। हालांकि गृहमंत्री ने राज्य से विवादास्पद सशस्त्र सैन्य विशेष अधिकार (अफस्पा) कानून 1958 को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की। उन्होंने कहा कि चौदह साल से इस कानून को हटाने की मांग कर रही शर्मिला के लिए ये व्यक्तिगत मुद्दा नहीं था।