बंगाल में फिर जमीन को लेकर संघर्ष, 2 की मौत
दक्षिण 24 परगना जिले का भांगड़ इलाका भूमि आंदोलन को लेकर सोमवार से रणक्षेत्र बना हुआ है। पुलिस और गांववालों के बीच 30 घंटे से अधिक समय के संघर्ष में 20 से अधिक लोग घायल हो गए। इनमें पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।
जागरण संवाददाता, कोलकाता । 2007 में पश्चिम बंगाल की तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार के समय जबरन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ हिंसक आंदोलन का केंद्र सिंगुर व नंदीग्राम बना था, जिसने राज्य की राजनीतिक दिशा ही बदल कर रख दी थी। एक दशक बाद पहली बार ममता सरकार के कार्यकाल में जबरन जमीन अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन हिंसक हो उठा है। बताया जा रहा है कि संघर्ष में 2 लोगों की मौत हो गई है।
दक्षिण 24 परगना जिले का भांगड़ इलाका भूमि आंदोलन को लेकर सोमवार से रणक्षेत्र बना हुआ है। पुलिस और गांववालों के बीच 30 घंटे से अधिक समय के संघर्ष में 20 से अधिक लोग घायल हो गए। इनमें पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। पुलिस को रोकने के लिए गांववाले पथराव कर रहे थे। पुलिस ने भी जवाब में लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे। बड़ी संख्या में पुलिस के आला अधिकारी मौके पर मौजूद हैं। उनकी उपस्थिति में ही मंगलवार शाम को स्थिति बेकाबू हो गई। उग्र भीड़ ने पुलिस के आधा दर्जन से अधिक वाहनों व एक बस में तोड़फोड़ के बाद उसे आग के हवाले कर दिया।
कथित तौर पर गांववालों के उग्र प्रदर्शन के चलते पीछे हटने के क्रम में पुलिस ने गोलियां भी चलाई, जिसमें एक आंदोलनकारी घायल हो गया, उसे कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
क्या है मामला
भांगड़ के माछीभांगा के ग्रामीणों का आरोप है कि पावरग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की परियोजना के लिए 2013 में 16 एकड़ कृषि भूमि का जबरन अधिग्रहण किया गया है। पावरग्रिड की ओर 400/220केवी के गैस संचालित सब-स्टेशन का निर्माण किया जा रहा है। यह 953 किलोमीटर हाई वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइन का हिस्सा है जिसके जरिये पश्चिम बंगाल के फरक्का से बिहार के कहलगांव तक बिजली की आपूर्ति होगी। नाराज ग्रामीणों का कहना है कि जमीन को जबरन छीना गया है।
साथ ही परियोजना से स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य को भी खतरा है। एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वादा किया था कि कोई भी जमीन जबरन अधिग्रहित नहीं की जाएगी, लेकिन आज उनकी पार्टी के लोग बंदूक की नोक पर हमारी जमीन छीन रहे हैं और वह मुंह बंद किए बैठी हैं। उधर पश्चिम बंगाल के बिजली मंत्री शोभनदेव चटर्जी ने मंगलवार को दोहराया कि राज्य सरकार ग्रामीणों की मांग के अनुरूप परियोजना स्थल पर काम बंद कराने का निर्देश पहले ही जारी कर चुकी है।
स्कूल, दुकान व बाजार बंद
सुबह से ही रुक-रुक कर पुलिस व गांववालों के बीच हो रहे संघर्ष को देखते हुए माछीभांगा और पद्योपुकुर गांव में सभी स्कूल, बाजार और दुकान बंद कर दिए गए हैं। गांव में बड़ी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की गई है। इसके बावजूद तनाव बना हुआ है। मीडिया के माध्यम से पावरग्रिड परियोजना का काम बंद किए जाने की घोषणा को आंदोलनकारियों ने मानने से इन्कार कर दिया। गांववालों ने मांग की कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बिजली मंत्री शोभनदेव चटर्जी उनके सामने आएं और परियोजना बंद करने की घोषणा करें। जब तक वे नहीं आते, आंदोलन जारी रहेगा।
पुलिस पर घरों में घुस कर मारपीट का आरोप
गांव वालों ने आरोप लगाया कि पुलिस वाले घरों में घुस कर तोड़फोड़ और महिलाओं व बच्चों के साथ मारपीट कर रहे हैं। पुलिस के आतंक के चलते कई लोग घर छोड़ कर भागने पर मजबूर हो गए।
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